लॉकडाउन: घरों में बंद छोटे बच्चों को इन टिप्स की मदद से बनाएं संस्कारी और रखें शांत!

नई दिल्ली। हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा संस्कारी बने और लोगों का सम्मना करें। ऐसे बच्चों को समाज में बहुत प्यार मिलता है. बचपन में कुछ बच्चों को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और कुछ बच्चे बड़ों को जवाब देना सीख जाते हैं। ऐसे बच्चों के स्वभाव को बदलने का प्रयास अगर समय रहते न किया जाए, तो बच्चे धीरे धीरे गुस्सैल और तीखे स्वभाव के हो जाते हैं। बच्चों को बड़ों का सम्मान सिखाना बेहद जरूरी है। इसका कारण यह है कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए और सफलता प्राप्त करने के लिए समाज की हर चीजों को सिखना बहुत जरूरी है। अगर बच्चे सरल और शांत नहीं बनेंगे या बड़ों का सम्मान नहीं करेंगे, तो उनका जीवनयापन थोड़ा मुश्किल हो सकता है. अभी लॉकडाउन का समय है और ऐसे में पैरेंट्स के पास अपने बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के लिए भरपूर समय है. आइए आपको बताते हैं कि आप अपने बच्चों को कैसे शांत, संस्कारी और बड़ों का सम्मान करने वाला बना सकते हैं।

अपने आप से करें शुरुआत
अक्सर देखा जाता है कि बच्चे उन्हीं परिवारों के बिगड़ते हैं, जिनके अपने घर का माहौल बिल्कुल अच्छा नहीं होता है. अगर आप घर के बुजुर्गों के लिए बच्चों के सामने गलत बातें और अपशब्दों का प्रयोग करेंगे या पड़ोसियों के लिए गलत शब्दों का प्रयोग करेंगे, तो वह आपसे ही सीखकर उनसे नफरत करने लगेंगे. इसलिए अगर आप अपने बच्चों को संस्कारी बनाना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत आपको अपने आप से करनी होगी. ध्यान रखें छोटे बच्चों के लिए किसी भी रिश्ते की शुरुआत आपसे ही होती है. जिस व्यक्ति का सम्मान आप करेंगे, उन्हें वह अपना दोस्त समझेंगे और जिसका अपमान आप करेंगे, उन्हें वह अपना दुश्मन समझेंगे।

बच्चों को सिखाएं अभिवादन
बच्चों को शुरुआती दिनों से ही सामान्य अभिवादन के शब्द और तरीके बताएं जिससे कि वो सामने वाले को सही प्रतिक्रिया दे सकें. किसी की मदद के लिए कृपया या प्लीज बोलना, मदद के बाद शुक्रिया या थैंक यू बोलना बच्चों को सिखाएं. इससे बच्चों के स्वभाव में सरलता आती है और उन्हें दूसरों का सम्मान करना आ जाता है।

ऐसे सिखाएं बड़ों का सम्मान करना
बच्चों को शुरुआत से ही इस बात के लिए तैयार करना चाहिए कि वे घर-परिवार और आस-पड़ोस के बड़े लोगों का सम्मान करें. इसके लिए बच्चों को रिश्तों का महत्व समझाएं. उन्हें बताएं कि दादा-दादी, अंकल-आंटी जैसे सभी रिश्तेदार उनके जन्म के पहले से ही परिवार के साथ जुड़े रहे हैं और समय पड़ने पर सभी एक-दूसरे की मदद करते हैं. इसके अलावा बच्चों को बताएं कि बहुत सारी गलत-सही बातों का अनुभव जितना बड़ी उम्र में आता है, उतना कम उम्र में नहीं आ पाता है।

बच्चों के अच्छे काम की तारीफ करें
पैरेंट्स को सिर्फ डांटने के लिए ही आगे नहीं रहना चाहिए. अगर बच्चे कुछ अच्छा करते हैं, तो आपको उनकी प्रशंसा भी करनी चाहिए. तारीफ करने से बच्चों का मनोबल बढ़ता है और वो आगे और अच्छा करने के लिए प्रेरित होते हैं. शुरुआत से ही ऐसी आदतें अपनाने से बच्चे धीरे-धीरे अच्छा करने के प्रयास को अपनी जीवनशैली में उतार लेते हैं. इसलिए हमेशा बच्चों की प्रशंसा जरूर करें।

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