शहीद रामवीर के अंतिम दर्शन को उमड़ा जनसैलाब, हर तरफ भारत माता की जयकार

कोसीकलां (मथुरा )। जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए कोसीकलां के लाल रामवीर बेनीवाल की शहादत पर लोगों को गर्व है और गम भी। शनिवार की दोपहर शहीद रामवीर का बेनीवाल का पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अपने पैत्रिक गांव हुलवाना पहुंच गया। शहीद जवान के अंतिम दर्शन करने के लिए गांव सुबह से ही लोगों के आने का सिलसिला जारी हो गया था। कोसीकलां में भी शहीद के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उसके काफिले के साथ यह भीड़ अंतिम विदाई देने के लिए गांव तक पहुंची।


प्रदेश के सांस्कृतिक मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण सिंह आज सुबह आगरा के एयरपोर्ट पर शहीद रामवीर बेनीवाल को राज्य सरकार की ओर से सलामी देने के लिए पहुंचे। जहां पूरे सम्मान के साथ सलामी सेना की एक टुकड़ी ने दी। मंत्री ने भी उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किया। जहां से सांस्कृतिक मंत्री व सैन्य अधिकारी शहीद के पा​र्थिव शरीर को लेकर मथुरा होकर कोसीकलां पहुंचे। कोसीकलां में भी शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जहां से होकर शहीद का काफीला गुजरता वहां से रामवीर अमर रहे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे गुंजते रहे। भीड़ का काफिला भी यहां से शहीद के गांव की ओर चल पड़ा। हर कोई अपने लाडले की शहादत पर गर्व महसूस कर रहा था।कोसीकलां से गांव हुलवाना तक भारत माता के नारे गूंज रहे। युवा हाथों में तिरंगा था। सभी में पाकिस्तान के प्रति उबाल दिखाई दिया।
गांव हुलवाना में भी हजारों की संख्या में आसपास के गांवों के लोग शहीद की अंतिम विदाई के लिए आये हुए थे। गांव में जब पूरे सैनिक सम्मान के साथ और तिरंगे में लिपटा शहीद का जब पार्थिव शरीर को लेकर उसके साथी सैनिक पहुंचे तो हर कोई रामवीर अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए भारत सरकार से लोग अपील कर रहे थे कि पाकिस्तान से शहीदों का बदला लिया जाये।
शहीद रामवीर सिंह की मां कृष्णा और पत्नी नीतू का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार की महिलाएं इन दोनों को हिम्मत बंधा रही हैं लेकिन जिसका अपना चला जाए उसे भला कौन संभाल सकता है। रामवीर सिंह की शादी वर्ष 2012 में छाता निवासी नीतू के साथ हुई थी। इनके दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा तीन साल का शिवा है और छह माह का आदित्य है।
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शहीद के दोनों बेटों को भेजूंगा सेना में
मथुरा। शहीद रामवीर सिंह के पिता किशोर सिंह की आंखें नम हैं। वह अपने पोते को गोदी में लेकर बैठे हैं। आस-पड़ोस के लोग सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। कहने लगते हैं, मुझे गर्व है अपने बेटे पर। दो पोते हैं और दोनों को बड़ा करके सैनिक बनाऊंगा। मेरे पोते भी अपने पिता की तरह देश की सेवा करेंगे।

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