
यूनिक समय, मथुरा। वृंदावन से संभल तक निकली सनातन जागरण पदयात्रा में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला जब बुर्का पहने, लेकिन माथे पर तिलक और आंखों में गहरी आस्था लिए एक युवती यात्रा में शामिल हुई। मथुरा निवासी अलीशा खान, जो अब सनातन संस्कृति से प्रभावित हैं, अपने इस रूप और विचारधारा के कारण सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।
अलीशा ने बताया कि उन्होंने आठ महीने पहले सचिन नामक युवक से प्रेम विवाह किया और तभी से सनातन धर्म के सिद्धांतों को अपनाने लगीं। अलीशा का कहना है, “सनातन धर्म में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, जबकि हमारे पुराने समाज में लड़कियों को वह मान-सम्मान नहीं मिल पाता था।”
इस पदयात्रा का नेतृत्व प्रयागराज महाकुंभ में सुर्खियों में रहीं हर्षा रिछारिया कर रही हैं, जिन्होंने सोमवार सुबह बांके बिहारी मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ पदयात्रा की शुरुआत की। भीड़ के उत्साह और साधु-संतों की उपस्थिति के बीच हर हर महादेव के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
यात्रा के दौरान हर्षा की चप्पल मंदिर में खो गई, लेकिन उन्होंने बिना रुके नंगे पांव ही आगे बढ़ना जारी रखा। उनका उद्देश्य स्पष्ट है — युवाओं को धर्म के मार्ग पर प्रेरित करना और सनातन संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाना।
यह 175 किलोमीटर लंबी पदयात्रा वृंदावन से शुरू होकर 20 अप्रैल को संभल पहुंचेगी और 21 अप्रैल को समापन समारोह के साथ इसका समापन होगा।
इस पदयात्रा की सबसे विशेष बात यही रही कि यह जाति, वेश और पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर आस्था के सच्चे स्वरूप को सामने लाने वाली यात्रा बनती जा रही है — जहां बुर्के में भी तिलक लगाया जा सकता है और श्रद्धा के साथ कदम से कदम मिलाया जा सकता है।
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