यूनिक समय/ मथुरा। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) ई-टिकट की कालाबाजारी करने वाले दलालों को पकड़ने के लिए अभियान चला रही है। इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन अब ई-टिकट खुद दलालों की ‘मुखबिरी’ करेगा। इसमें आरपीएफ इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) की भी मदद लेगा।
आइआरसीटीसी ई-टिकट की सुविधा यात्रियों को उपलब्ध कराती है। इसके लिए आइआरसीटीसी द्वारा एजेंट भी नियुक्त किए गए हैं। एजेंट तत्काल कोटा का टिकट छोड़कर सभी प्रकार के टिकट बना सकते हैं। मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए यात्री खुद भी टिकट बना सकते हैं। इसके लिए आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर आनलाइन रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है।
इसके बाद वो आनलाइन टिकट ले सकते हैं। इस सुविधा का दलाल गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वो फर्जी आइडी बनाकर टिकट की कालाबाजारी करते हैं, इतना ही नहीं तत्काल कोटा में भी सेंधमारी कर देते हैं। इन दलालों को पकड़ने के लिए रेलवे ने जोन स्तर पर साइबर क्राइम सेल का गठन किया। इसके तहत मंडल स्तर पर भी एक टीम बनाई गई है। साइबर सेल दलालों को पकड़ने के लिए आइआरसीटीसी की मदद से काम करेगा।
अधिकारियों के मुताबिक ई-टिकट दलालों को पकड़ने के लिए आइआरसीटीसी के सिस्टम को अपडेट किया गया है। सिस्टम मोबाइल नेटवर्क या इंटरनेट के जरिए अधिक टिकट बनाने, टिकट का भुगतान किस बैंक के खाते से किया गया है और किस पंजीयन नंबर से टिकट बनाए गए हैं, आदि की जानकारी साइबर क्राइम सेल को भेजेगा।
इसके साथ रिजर्वेशन टिकट का पीएनआर नंबर भी उपलब्ध कराएगा। साइबर क्राइम सेल इन सब जानकारी के आधार पर सूची तैयार करेगी। इसमें प्रत्येक आइडी पर बने टिकट की संख्या दर्ज होगी। साथ ही एक ही बैंक खाते से होने वाले भुगतान, इंटरनेट का आइपी एड्रेस की जानकारी भी होगी। इसके आधार पर जांच कर दलालों का पता लगाया जाएगा। साक्ष्य के आधार पर दलालों को गिरफ्तार किया जाएगा।
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