मथुरा। जनवरी से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार नहीं पहुंच रहा है। इसके बाद भी प्रशासन ने 22 गांवों के कुपोषण मुक्त होने की सूची शासन को भेज दी। इस पर शासन ने जवाब तलब किया। तब संशोधित सूची भेजी गई। अब इन गांवों को 31 अगस्त तक कुषोषण मुक्त करना होगा।
तंगहाल में जीवन गुजर-बसर कर रहे परिवारों में बच्चों को संतुलित आहार नहीं मिल पा रहा है। जिले में करीब 12 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जबकि इससे अधिक बच्चे कुपोषण की बार्डर लाइन पर खड़े पर हुए हैं। इससे बचाव को आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार वितरण किया जा रहा है। यह छह साल आयु वर्ग तक के बच्चों को अलग-अलग स्थिति में दिया जा रहा है। इसमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं।
गणेशरा, तंतूरा, सतोहा, असगरपुर, भरतिया, बिलौठी, फतिहा, नगला चंद्रभान, जफर नगर, धाना शमशाबाद, धाना तेजा, खानपुर, जनूवी, सिहाना, राधाकुंड, पाडल, सुल्तानपुरा समेत 22 गांवों को छह महीने में कुपोषण मुक्त किया जाना था। शासन ने कुपोषण मुक्त गांवों की जानकारी मांगी तो इन गांवों को कुपोषण मुक्त दिखा दिया गया, जबकि जनवरी से 18 मई तक पोषाहार की आपूर्ति आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं हुई है। इसके साथ ही पोषाहार वितरण की सूचना निल भेजी गई। इस पर शासन ने प्रशासन से जबाव तलब कर लिया। इसके बाद शासन को पुन: संशोधित सूची भेजी गई। इसके आधार पर इन गांवों को पूरी तरह कुपोषण से मुक्त करने के लिए 31 अगस्त की समय सीमा बढ़ा दी है।
बाल विकास परियोजना के गोदामों से अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को पोषाहार लेकर नहीं जाना पड़ेगा। उत्पादक कंपनी स्वयं पोषाहार को पहुंचाएगी। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के निदेशक राजेंद्र कुमार ¨सह इसके आदेश जारी कर दिए हैं। आपूर्ति कराने के बाद उत्पादक कंपनी बाल विकास परियोजना अधिकारी को रसीद भी देगा। इसके साथ ही पहली बार पोषाहार की आपूर्ति को बार को¨डग और स्मार्ट इनवेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम से तैयार कराया जा रहा है। इसके ऑनलाइन होने पोषाहार वितरण का कार्य पूर्व नीति के तहत ही होगा।
डीपीओ रेखारानी ने बताया कि पोषाहार न मिलने के कारण राज्य कुपोषण मिशन प्रभावित हुआ है। 20 मई के बाद पोषाहार की आपूर्ति मिल जाएगी।
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