मंत्रालय: ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नहीं देना होगा टेस्ट, सरकार ने जुलाई से बदला नियम!

नई दिल्ली। अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सोच रहे हैं तो अब आपको इसके लिए ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में 1 जुलाई से बड़ा बदलाव किया है। जिसके बाद आपको आरटीओ जाकर ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। आपको बता दें कि अभी तक ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट देना अनिवार्य था, लेकिन 1 जुलाई से बदले गए नियमों के बाद अब ऐसा नहीं करना होगा। आइए जानते हैं अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए क्या करना होगा…

मान्यता प्राप्त ड्राइविंग सेंटर से लेनी होगी ट्रेनिंग – MORTH के नियम के अनुसार अगर आपने मान्यता प्राप्त ड्राइविंग सेंटर से ट्रेनिंग ली है तो आपको ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ जाकर टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। वहीं सरकार ने हाल ही में राज्यवार ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर को मान्यता देना शुरू कर दिया है, जहां आप आसानी से टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर चलाना सीख सकते हैं।

कितने दिन लेनी होगी ट्रेनिंग-नए नियम के अनुसार आपको ड्राइविंग सेंटर्स पर हल्के मोटर व्हीकल कोर्स के लिए 4 सप्ताह में 29 घंटे ड्राइविंग करनी होगी। इसके साथ ही 28 दिनों में आपको ड्राइविंग सीखनी भी होगी। अगर ड्राइविंग सेंटर्स आपको पास कर देते हैं तो फिर आपको ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कोई और टेस्ट नहीं देना होगा। इसके अलावा हेवी मोटर व्हीकल यानी भारी वाहन की ड्राइविंग सीखने की अवधि 6 सप्ताह में 38 घंटे की है। इसमें भी थ्योरी और प्रैक्टिकल शामिल हैं। इसके अलावा ड्राइवरों को अन्य सड़क सबंधित जरूरी नियमों के साथ ही नैतिक और विनम्र व्यवहार के बारे में कुछ बुनियादी पहलू भी सिखाए जाएंगे।

ट्रेनिंग सेंटर्स के लिए बुनियादी जरूरत- नए नियम के अनुसार ऑथेराइज्ड ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स उच्च गुणवत्ता वाली ट्रेनिंग देने के लिए सिमुलेटर के साथ-साथ डेडिकेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक से लैस होंगे। यहां पर आवेदकों को ड्राइविंग के बारे में पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वो ड्राइविंग की बारीकियां सीख सकें और रोड पर बेहतर तरीके से ड्राइव कर सकें।

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