महाराष्ट्र विधानसभा में वड़ापाव बेचते-बेचते बने MLA, किसानों के लिए लड़ा आंदोलन

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक बेहद गरीब शख्स जीतकर विधायक बने हैं। सड़कों पर कभी रेहड़ी लगाकार वड़ापाव बेचने वाले इस शख्स ने 2019 में हुए विधानसभा चुनाव लड़े थे।

माकपा के 43 वर्षीय विनोद निकोल महाराष्ट्र के 288 नव-निर्वाचित विधायकों में ‘सबसे गरीब’ हैं। पहले वह कभी पालघर जिले के दहानु के आदिवासी इलाके में ‘वड़ापाव’ बेचा करते थे। अब, वह महाराष्ट्र के विधान भवन में एक एमएलए के तौर पर अपनी मजबूत पहचान बना चुके हैं।

संपत्ति मात्र 50 हजार

चुनावी हलफनामें के अनुसार विनोद निकोल की संपत्ति मात्र 52 हजार 82 रूपए बताई गई है जबकि इस विधानसभा चुनाव में करोड़पति उम्मीदवार की चर्चा रही। बावजूद इसके उन्होंने 72,068 वोट के साथ भाजपा के मौजूदा विधायक पास्कल धनारे को हराया था। धनारे को मात्र 67,326 वोट मिले थे। निकोल ने 4,742 वोटों के इस भारी अंतर के साथ जीत दर्ज की थी।

कुपोषण के खिलाफ छेड़ी लड़ाई

निकोल ने मीडिया से बातचीत में क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं पर बात की। उन्होंने नए विधायकों के शपथ ग्रहण से पहले ही बुनियादी चीजों पर काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा-  “यहां बेसिक जरूरतों सहित मेडिकल सुविधाओं के मुद्दे हैं। हमारे जिले में सहित आस-पास के क्षेत्रों में कुपोषण है। मैंने पहले ही काम करना शुरू कर दिया है। मैंने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए डॉक्टरों की एक बैठक की थी।”

निकोल सीपीआई (एम) महाराष्ट्र राज्य समिति के सदस्य हैं और 2005 से पिछले 15 वर्षों से पार्टी के फुल टाइम कार्यकर्ता हैं। वह सीटू (CITU) के राज्य सचिव और ठाणे-पालघर जिला सचिव हैं और डीएफआई के सदस्य हैं। वह डीवाईएफआई राज्य समिति के सदस्य भी रहे।

कभी मिलते थे 500 रूपये 

निकोल ने बताया, “एक फुल-टाइमर कार्यकर्ता के तौर पर मैं 2005 में आंदोलन में शामिल हुआ था। मुझे 500 रुपये मिलते थे और अब मुझे 5,000 रुपये मिलते हैं।” उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी बबीता, जो एक आश्रम शाला सेविका हैं को भी 2,000 रुपये मिलते हैं। दंपति के दो बच्चे हैं। “हम सभी अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और हमारे पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी है।

किसानों के लिए लड़ा आंदोलन

अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष और माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ अशोक धवाले ने कहा- निकोल उन 40,000 किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने मार्च में नासिक से मुंबई तक (AIKS) के नेतृत्व वाले किसान लॉन्ग मार्च के पूरे 200 किलोमीटर के रास्ते पर पैदल यात्रा की थी।

निकोल ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम का कार्यान्वयन उनका एजेंडा है, ” वन अधिकार से जुड़े इस मुद्दे को मैं विधानसभा में उठाऊंगा,” उन्होंने कहा कि उनके पिता खेत मजदूर के रूप में काम करते थे। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें घर और पढ़ाई दौोनों छोड़नी पड़ी। गुजारे के लिए वह सड़कों पर वड़ा पाव बेचा करते थे। पर अब वह क्षेत्र में गरीबों के लिए काम करेंगे।

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