यूनिक समय, नई दिल्ली। मुंबई हमले के मास्टरमाइंडों में से एक, पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा, अब भारत के हवाले होने जा रहे हैं। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जिससे वह मुंबई आतंकी हमले के बारे में महत्वपूर्ण खुलासे कर सकता है।
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर रहा है, 1990 के दशक में कनाडा चला गया था और वहीं नागरिकता प्राप्त की थी। बाद में, वह शिकागो में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म चलाने लगा, जहां उसकी मुलाकात डेविड हेडली से हुई। हेडली, जो 2008 के मुंबई हमलों में प्रमुख संदिग्ध था। उसने मुंबई में ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसी प्रमुख जगहों की रेकी की थी। जांचकर्ताओं का मानना है कि राणा ने ही हेडली को इस अपराध में शामिल किया था।
साल 2009 में अमेरिकी अधिकारियों ने राणा को गिरफ्तार किया था और बाद में उसे 2011 में डेनिश अखबार पर हमले की साजिश में भी शामिल पाया गया। हालांकि, मुंबई हमलों में उसकी भूमिका पर अमेरिकी जूरी ने उसे बरी कर दिया था। फिर भी, भारतीय एजेंसियां लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही थीं।
2008 के मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अंजाम दिया था और राणा का नाम उन आतंकवादियों की साजिश में था। अब, भारत को उम्मीद है कि राणा के भारत आने से मुंबई हमले के बारे में और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आएगी, जो इस जघन्य अपराध के मास्टरमाइंडों का पर्दाफाश कर सकती है। राणा का प्रत्यर्पण भारत और अमेरिका के बीच मजबूत कानूनी और राजनयिक रिश्तों की एक मिसाल भी है, जो आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अहम कदम साबित हो सकता है।
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