
यूनिक समय, मथुरा। महिला एवं बाल विकास विभाग के बैनर तले16 अक्टूबर से शुरु किए गए एडॉप्शन वीक के क्रम में यूनिसेफ के सहयोग से वेबिनॉर की गई।
विभाग की निदेशक संदीप कौर ने बताया कि 16 से 22 अक्टूबर के मध्य आयोजित एडॉप्शन वीक में लोगों को बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी देकर उन्हें जागरूक करने का काम किया जा रहा है।
हमें कई बार रेलवे और बस स्टेशन, झाड़ियों में नवजात बच्चे मिलते हैं। जिन्हें देर हो जाने पर बचाना मुश्किल हो जाता है। जो लोग बच्चों को नहीं पालना चाहते हैं, वह उन्हें अस्पताल, शिशु गृह या फिर किसी सुरक्षित संस्था के सुपुर्द कर दें अथवा 1098 निशुल्क नंबर पर चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित करें। इसके लिए अस्पतालों और शिशु गृह में पालना लगाए जाने चाहिए। लोग उसी पालने में अपने बच्चे को छोड़ सकते हैं, जिससे बच्चा सुरक्षित हाथों तक पहुंच सके।
वेबसाइट पर कर सकते हैं आवेदन –Child Adoption Process
महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक पुनीत मिश्रा ने बताया कि बच्चों को गोद लेने के लिए आॅनलाइन आवेदन की व्यवस्था है। कोई भी परिवार कहीं से भी वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं। बाल अधिकार और यूनिसेफ इंडिया के विशेषज्ञ प्रभात कुमार ने कहा कि गोद लेने वाले परिवार और हम सभी का यह दायित्व है कि बच्चे को इस तरह का संरक्षण दे कि बच्चे को सभी अधिकार मिले, उन्हें पूरी तरह से पारिवारिक परिवेश मिले और बच्चे के साथ भेदभाव न होने पाए। उन्होंने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। साथ ही इसमें जो भी विभाग संबंद्ध हैं, उन्हें भी शीघ्रता करने के साथ पारदर्शिता से काम करने की जरूरत है।
बाल संरक्षण विषय विशेषज्ञ करूणा नारंग ने कहा कि बेटे की चाह में कई परिवारों में बच्चों की संख्या बढ़ती जाती है। ऐसे में बच्चों को अकेला छोड़ देने की बजाय महिलाओं को जागरूक किया जाना चाहिए कि इधर-उधर फेंकने के बजाए बच्चों को जिला बाल संरक्षण इकाई या बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर सकते है, जिससे बच्चे को किसी परिवार को गोद दिया जा सके। संचालन विभाग के राज्य परामर्शदाता नीरज मिश्र ने किया।
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