नेपाल: पेट्रोल से लेकर हर चीज महंगी, पहले 20000 रुपए में घर चल जाता था, अब 35000 रुपए भी कम

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के आर्थिक संकट ने एशियाई देशों खासकर पाकिस्तान और नेपाल को सचेत किया है। इसके पीछे चीन की पॉलिसी है। ये तीनों देश चीन के कर्ज तेल दबे हुए हैं। तीनों देशों में लगातार महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है। इन तीनों देशों में एक कॉमन फैक्टर है, वो है यह चीन। श्रीलंका और पाकिस्तान ने अरबों डॉलर चीन से कर्ज ले रखे हैं। अब चीन की नजर नेपाल पर है। कभी भारत का अच्छा मित्र रहा नेपाल अपने आर्थिक लाभ के चक्कर में चीन के चंगुल में फंसता जा रहा है। हालत यह हो चुकी है कि अब भी श्रीलंका की राह पर बढ़ता जा रहा है, जो चिंता का विषय है।

अप्रैल में अपनी भारत यात्रा के दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अनौपचारिक तौर पर मार्च के अंत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की काठमांडू यात्रा के बारे में कुछ बातें शेयर की थीं। नेपाली पीएम की पत्नी आरजू आर्थिक मामलों के अलावा अन्य मुद्दों की अच्छी जानकार हैं। उन्होंने खुलासा किया था कि चीन ने नेपाल को भारी कर्ज देने का प्रस्ताव रखा था, जिसे ठुकरा दिया गया था। नेपाल का कहना था कि वो चीन से अनुदान स्वीकार कर सकता है, कर्ज नहीं।

नेपाल के केंद्रीय बैंक Nepal Rashtra Bank के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के पहले आठ महीनों में महंगाई (Inflation) का औसत 7.14 फीसदी रहा, यह 67 महीनों में सबसे ज्यादा था। पेट्रोलियम उत्पादों और खाने-पीने के सामान आदि की वैश्विक कीमतें बढ़ने के कारण नेपाल के लोगों की माली हालत पतली होती जा रही है। kathmandupost की एक रिपोर्ट के अनुसार, 31 वर्षीय ड्राइवर बताते हैं कि उन्हें खाने-पीने की चीजें तक खरीदने में कंजूसी करनी पड़ रह है। ड्राइवर शाही ने कहा, ‘खाने की कीमतें आसमान छू रही हैं। “चूंकि मांस और अंडे बहुत महंगे हो गए हैं, इसलिए हमने उन पर कटौती की है क्योंकि परिवार को जरूरी सामान खरीदने के लिए पैसे की जरूरत है।” शाही के मुताबिक, राइड शेयर ड्राइवर(rideshare driver) के तौर पर उन्हें पेट्रोल पर काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। पिछले एक साल में पेट्रोल की कीमत 115 रुपये से बढ़कर 170 रुपये प्रति लीटर हो गई है। एक साल पहले तक वे हर महीने 5,000 रुपए बचा लेते थे, अब ऐसा नहीं है।

अंशकालिक शिक्षक(P टॉम लिम्बु कपान में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वे कहते हैं-“मुझे अकेले परिवहन पर प्रति माह 5,000 रुपए से अधिक खर्च करना पड़ता है, जो महामारी से पहले लगभग 2,000 रुपए हुआ करता था।” लिंबु कुछ समय पहले तक 20,000 रुपए प्रति माह में अपना घर चला रहे थे, लेकिन अब 35,000 रुपए भी कम पड़ रहे।

महंगाई ने कम आय वाले नेपाली परिवारों का जीवन कठिन कर दिया है। देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिति पर नेपाल राष्ट्र बैंक की नवीनतम मासिक रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रास्फीति(Inflation)सालाना आधार पर 7.28 प्रतिशत बढ़ी, जो 67 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। पिछली बार देश की मुद्रास्फीति 7.14 प्रतिशत को पार कर सितंबर 2016 के मध्य में थी, जब यह 7.9 प्रतिशत थी।

महंगाई तेजी से बढ़ रही है, लेकिन लोगों सैलरी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। केंद्रीय बैंक के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में, औसत वार्षिक मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत थी, जबकि औसत वेतन और वेतन वृद्धि 2.76 प्रतिशत थी। यानी सैलरी बढ़ने का कोई फायदा नहीं हुआ।

नेपाल के अर्थशास्त्री केशव आचार्य(economist Keshav Acharya) के मुताबिक, “मान लीजिए कि एक निश्चित आय वाला व्यक्ति प्रतिदिन 100 रुपये कमाता है। 8 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर का मतलब है कि उनकी वास्तविक आय सिर्फ 92 रुपये प्रति दिन है। इसका मतलब है कि ऐसे लोगों के लिए जीवन जीना कठिन होता जा रहा है।

आचार्य ने कहा, “मुद्रास्फीति और बढ़ने की आशंका है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म होने वाला नहीं है। उच्च मुद्रास्फीति लोगों को ऐसे समय में परेशान कर रही है, जब देश को कोविड -19 के कारण बड़े पैमाने पर नौकरी के नुकसान का सामना करना पड़ा। जनवरी 2020 में कार्यरत लोगों में से 52 प्रतिशत ने 2020 में पहली कोविड -19 लहर के दौरान नौकरी खोई या कमाई का नुकसान उठाया।

नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन ने शनिवार को पेट्रोल, डीजल और मिट्टी के तेल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की, जो रविवार से प्रभावी है। राज्य के स्वामित्व वाली तेल एकाधिकार ने पिछले एक साल में पेट्रोल की कीमत 13 गुना बढ़ा दी है। पेट्रोल की कीमत अब 170 रुपये प्रति लीटर है, जो पिछले साल की तुलना में 38.21 प्रतिशत अधिक है। डीजल पिछले एक साल में 44.33 प्रतिशत महंगा हो गया है और अब इसकी कीमत 153 रुपये प्रति लीटर है।

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