बिहार के गोपलगंज जिले में गंडक नदी पर 263 करोड़ रुपये की लागत से बना सत्तरघाट पुल का एक हिस्सा टूटकर नदी में बह गया। वहीं, पुल के टूटने पर बिहार सरकार ने बयान जारी कर सफाई दी है। सरकार ने कहा है कि सत्तरघाट पुल के क्षतिग्रस्त होने की खबर झूठी है।
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सरकार ने अपने बयान में कहा है कि सत्तरघाट मुख्य पुल से लगभग दो किमी दूर गोपालगंज की ओर एक 18 मीटर लंबाई के छोटे पुल का पहुंच पथ कट गया है। यह छोटा पुल गंडक नदी के बांध के अंदर अवस्थित है। गंडक नदी में पानी का दबाव गोपालगंज की ओर ज्यादा है। इस कारण पुल के पहुंच का सड़क का हिस्सा कट गया है।
अपने बयान में राज्य सरकार ने कहा है कि यह अप्रत्याशित पानी के दबाव के कारण हुआ है। इस कटाव से छोटे पुल की संरचना को कोई नुकसान नहीं हुआ है। मुख्य सत्तरघाट पुल जो 1.4 किमी लंबा है, वह पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें कहा गया है कि पानी का दबाव कम होते ही यातायात चालू कर दिया जाएगा।
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बयान में कहा गया है कि इस योजना में कोई अनियमितता का मामला नहीं है। यह एक प्राकृतिक आपदा है। इसे लेकर विभाग पूरी तरह मुस्तैद है।
आपदा में सड़कें और पुल टूट जाते हैं: पीडब्ल्यूडी मंत्री
वहीं, पुल के टूटने पर राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री नंद किशोर यादव ने बेतुका बयान देते हुए कहा है कि यह प्राकृतिक आपदा की वजह से हुआ है, इसमें तो सड़कें और पुल टूटते ही हैं।
मंत्री नंद किशोर ने कहा कि सत्तरघाट का पुल बिल्कुल सुरक्षित है। मुख्य सत्तरघाट पुल से दो किमी दूर एक अप्रोच रोड है, जो पानी के कटाव की वजह से बह गया है। यह प्राकृतिक आपदा है। इसमें तो सड़कें और पुल बह जाते हैं।
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यादव ने कहा है कि पुल निर्माण में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि भारी बारिश की वजह से मिट्टी का कटाव हुआ, जिसकी वजह से पुल ढहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा की वजह से यह आफत आई है। इस पर आरजेडी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। नुकसान का आकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टूटे हुए हिस्से को जल्द ठीक कराएंगे।
263 करोड़ रुपये की लागत से बना है पुल
दरअसल, मानसून के प्रवेश करने के बाद से ही बिहार में बारिश और बाढ़ ने अपना कहर मचा रखा है। बिहार के गोपलगंज जिले में गंडक नदी पर 263 करोड़ रुपये की लागत से बना सत्तरघाट पुल टूटकर नदी में बह गया। नदी का जलस्तर बढ़ने और भारी बारिश के चलते पुल का एक हिस्सा टूट गया।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पुल का उद्घाटन पिछले महीने ही किया था। यह पुल महज 29 दिनों के भीतर ही नदी में समा गया। वहीं, इस पुल के ध्वस्त होने से चंपारण तिरहुत और सारण के कई जिलों का संपर्क टूट गया है।
विपक्ष ने बोला हमला
वहीं, विपक्ष के नेताओं ने पुल निर्माण में लापरवाही को लेकर जांच की मांग की है। तेजस्वी यादव ने पुल के टूटने को लेकर सीएम को घेरा है। तेजस्वी ने ट्वीट किया, ‘263 करोड़ रुपये से 8 साल में बना लेकिन मात्र 29 दिन में ढह गया पुल। संगठित भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह नीतीश जी इस पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे और ना ही साइकिल से रेंज रोवर की सवारी कराने वाले भ्रष्टाचारी सहपाठी पथ निर्माण मंत्री को बर्खास्त करेंगे। बिहार में चारों तरफ लूट ही लूट मची है।’
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