सूचना अधिकार अधिनियम के तहत 30 दिन में नहीं मिल रहा जबाव

आरटीआई कार्यकर्ता के शिकायती पत्र पर राज्यपाल गंभीर, अधिकारियों से कहा कि समय से दें सूचना
यूनिक समय, मथुरा। जनसूचना अधिकार अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि जनसूचना अधिकारी निर्धारित 30 दिन में आवेदक को सूचनाएं उपलब्ध करा दें, लेकिन अधिकारी इस नियम का मखौल उड़ाते नजर आ रहे हैं। लिहाजा आवेदक को अपील करनी पड़ती है इस प्रक्रिया में एक ओर आवेदक बेवजह परेशान होता है और दूसरी ओर सरकार के करोड़ों रुपये भत्ते के रूप में व्यय होते हैं। ऐसे ही कुछ सार्थक प्रश्नों के साथ शहर के गऊघाट निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रामगोपाल राजपूत ने राज्यपाल के यहां शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायती पत्र में अवगत कराया गया कि 30 दिन के अंदर सूचना न मिलने से दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक, बीपीएल, अंत्योदय कार्ड धारक गरीब लोग खासे हताश हो जाते है।
इधर आयोग में सुनवाई के दौरान सरकार पद के अनुसार भत्ता, लाभ जनसूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी को देती है ऐसे में इसका बोझ सरकार खजाने पर पड़ता है। प़त्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सूचना आयोग नोटिस देकर उभय पक्ष को तो बुला लेता है लेकिन खुद अनुपस्थित रहता है। ऐसे में वादकारी को खासी परेशानी, आर्थिक मार झेलनी पड़ती है। राज्यपाल से मांग की गई है कि बुजुर्ग, गरीब आवेदकों की सुनवाई मंडल स्तर पर या फिर एनआईसी के माध्यम से की जाए। सूचना आयुक्तों की अनुपस्थिति की जानकारी भी मोबाइल से प्रदान की जाए। पत्र को राज्यपाल सचिवालय ने प्रशासनिक सुधार विभाग को भेजा है।

तारीख पर पहुंचते है चपरासी

मुख्य सूचना आयुक्त को लिखे पत्र में अवगत कराया गया है कि तारीखों पर सुनवाई में जनसूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी के स्थान पर चपरासियों को भेज दिया जाता है। जिससे सूचना मिलने में अनावश्यक बिलंव होता है। इधर आयोग का समय भी बेवजह नष्ट होता है। ऐसे में अधिनियम के अनुसार जनसूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी ही सुनवाई पर हाजिर हों, इसे सख्ती से लागू किया जाए।

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