अब कभी भी हो सकता है मास्टरजी का ट्रांसफर

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पांच वर्ष से कम सेवा में भी हो सकता है अध्यापक का स्थानांतरण, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को आपसी सहमति से स्थानांतरण के मामले में निर्णय लेने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपसी सहमति के आधार पर सहायक अध्यापकों का एक से दूसरे जिले में स्थानांतरण करने के मामले में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति के आधार पर स्थानांतरण के संबंध में कोई नीति न होने के बावजूद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद याचियों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए उनके स्थानांतरण पर उचित आदेश करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने कुलभूषण मिश्र व एक अन्य की याचिका पर दिया है। मूल रूप से प्रयागराज के निवासी याची की नियुक्ति कौशाम्बी के नेवादा ब्लाक में सहायक अध्यापक पद पर है जबकि दूसरे याची मूल रूप से फतेहपुर के हैं और उनकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के रूप में प्रयागराज के धनुपुर ब्लाक में है। उन्होंने आपसी सहमति के आधार पर एक-दूसरे के स्थान पर स्थानांतरण करने की मांग की थी।
एक याची का कहना था कि उसके नाना व मां बहुत ही बूढ़े हैं। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। साथ ही याची के बच्चे भी प्रयागराज में ही पढ़ते हैं। दूसरे याची का कहना था कि वह मूलरूप से फतेहपुर का रहने वाला है। उसके भी मां-बाप वृद्ध हैं और वह उनकी इकलौती संतान है। उन्होंने आपसी सहमति (म्यूच्यूअल) के आधार पर स्थानांतरण के लिए अर्जी दी थी लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि म्यूच्यूअल ट्रांसफर को लेकर सरकार ने अभी कोई नीति नहीं बनाई है। इसके जवाब में याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने न्यायिक निर्णयों में इस इस स्थिति को स्पष्ट किया है कि अध्यापकों के स्थानांतरण की नियमावली रूल 8(2) डी का क्रियान्वयन किसी नीति के न होने पर रोका नहीं जा सकता है। इस नियम के अनुसार विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष की सेवा पूरी किए बिना भी पुरुष अध्यापकों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण किया जा सकता है। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को याचियों के मामले में सभी परिस्थितियों को देखते हुए नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है

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