पनामा पेपर केस: ईडी ने ऐश्वर्या किए तीखे सवाल, पूछा—बच्चन खानदान की बहू बनते ही क्यों बंद की कंपनी

मुंबई। पनामा पेपर केस में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने ऐश्वर्या राय से दिल्ली स्थित दफ्तर में करीब 7 घंटे तक पूछताछ की। सवाल-जवाब का सिलसिला दोपहर करीब साढ़े 12 बजे शुरू हुआ जो रात साढ़े 7 बजे तक चलता रहा। इस दौरान जांच एजेंसी ने ऐश्वर्या राय से उनकी कंपनियों और बैंक अकाउंट्स के बारे में तीखे सवाल किए। सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी ने ऐश्वर्या से पूछा कि उन्होंने 50 हजार डॉलर में खरीदी गई कंपनी को सिर्फ 1500 डॉलर में आखिर क्यों बेच दिया। इतना ही नहीं, ईडी ने ये भी पूछा कि बच्चन खानदान की बहू बनने के बाद आखिर उन्होंने अपनी कंपनियों को क्यों बंद कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पनामा पेपर्स मामले में भारत के करीब 500 लोगों के शामिल होने की बात सामने आई थी। इनमें कई पॉलिटिशियन के अलावा एक्टर्स, खिलाड़ी और उद्योगपतियों के नाम शामिल हैं।

पनामा पेपर्स लीक मामले में आखिर बच्चन फैमिली का नाम क्यों सामने आया? दरअसल, 2016 में ब्रिटेन में पनामा की लॉ फर्म के 1.15 करोड़ टैक्स दस्तावेज लीक हुए थे। इसमें भारत समेत दुनियाभर की कई बड़ी हस्तियों के नाम शामिल थे। इस मामले में भारत से बच्चन फैमिली का नाम भी सामने आया था। रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ बच्चन को 4 कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया था। इनमें से तीन बहामास में थीं, जबकि एक वर्जिन आइलैंड्स में थी। इन कंपनियों को 28 साल पहले यानी 1993 में बनाया गया। इन कंपनियों की कुल पूंजी 5 हजार से 50 हजार डॉलर के बीच थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2005 में ऐश्वर्या राय को पहले इनमें से एक कंपनी का डायरेक्टर नियुक्त गया था। बाद में उन्हें कंपनी का शेयर होल्डर बना दिया गया। कंपनी का नाम अमिक पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड था, जिसका मुख्यालय वर्जिन आइलैंड्स में था। ऐश्वर्या के अलावा उनके पेरेंट्स और भाई आदित्य राय भी इसमें उनके पार्टनर थे। हालांकि, 2008 में यह कंपनी बंद हो गई थी।

पनामा एक लैटिन अमेरिकी देश है, जहां लॉ फर्म मोसेक फोंसेका के एक करोड़ 10 लाख दस्तावेज लीक हुए थे। लीक दस्तावेज बताते हैं कि ताकतवर लोगों ने पनामा, वर्जिन आईलैंड और बहामास जैसे टैक्स हैवन देशों में बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट किया था। यहां ताकतवर और रसूखदार लोगों ने इसलिए निवेश किया, क्योंकि यहां टैक्स के नियम काफी आसान हैं और निवेश करने वाले लोगों की पहचान सीक्रेट रखी जाती है।

1977 में बनी मोसेक फोंसेका एक लॉ फर्म है, जिसके 35 देशों में ऑफिस है, लेकिन इसका हेडक्वार्टर पनामा में है। ये फर्म अलग-अलग देशों में ताकतवर औार अमीर लोगों से मोटी फीस लेकर उन्हें वित्तीय सलाह देती है। सलाह देने की आड़ में ये फर्म शैल कपंनी भी बनाती है। ये शैल कंपनीज सिर्फ दिखावे के लिए बनाई जाती हैं। इसे बनाने का मकसद होता है किसी भी कानूनी प्रक्रिया से बचना और पैसे को ठिकाने लगाना या फिर काले धन को सफेद करना।

2016 में पनामा पेपर्स लीक का खुलासा इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स यानी ICIJ ने किया था। ये दुनियाभर के खोजी पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय महासंघ है। इसमें 70 देशों के 370 पत्रकारों ने चार साल तक दस्तावेजों की पड़ताल की थी। इनमें कुछ भारतीय जर्नलिस्ट्स भी थे। इस कन्सॉर्टियम में ऐसे पत्रकार शामिल होते हैं, जो सरकारी कागजों को पढ़ सकते हैं।

 

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