आगरा। जिस मां ने अपनी कोख में नौ महीने तक पाला, लेकिन जन्म लेते ही उन्हें शहर की सड़कों पर छोड़ दिया। उन बच्चों को प्रेमदान ने गले से लगाया और उन पर मां-बाप का प्रेम लुटाया। आज वही बच्चे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं, जिनमें कुछ बेटियां भी हैं। आगरा में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से संचालित ‘प्रेमदान’ में करीब 50 बच्चे रह रहे हैं। प्रेमदान इन बच्चों को जीवन की नई दिशा देने का काम कर रहा है। यहां पर रहने वाली बेटियां पढ़-लिखर आत्मनिर्भर हो रही हैं। पेश है ऐसी ही कुछ बेटियों पर रिपोर्ट…
प्रेमदान में रहने वाली कृपा आरबीएस से मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) कर रही हैं। उनका कहना है कि एमसीए पूरा करने के बाद वो यहां रहने वाले बच्चों को निशुल्क पढ़ाई कराएंगी। उनका मानना है कि जिंदगी काफी खूबसूरत है बस देखने के नजरिये का अंतर है। जिंदगी से लड़ते हुए आगे बढ़ना मेरी चाहत है, जिंदगी में किसा का मोहताज नहीं रहना। बेसहारा लोगों को शिक्षित करना उनका मकसद बन चुका है।
फतेहाबाद स्थित सेंट जोन पाल स्कूल में शिक्षण कार्य कर रहीं क्रिस्टिना जेम्स को बुरे पलों की यादें कभी नहीं आती हैं। उन्होंने कभी भी अकेलेपन का एहसास तक नहीं होने दिया। हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरण मिलती रही। उनका कहना है कि आज जब मैं एक शिक्षिका के रूप में बच्चों को पढ़ाती हूं, तो काफी सुकून मिलता है। मुझे नाज है कि मैं ऐसे परिवार से हूं, जिसके सैकड़ों भाई और बहन हैं। जिंदगी की सफलता इसी में है कि मैं शिक्षा के क्षेत्र में नए बच्चे तैयार कर रही हूं।
मथुरा के निष्कलंक माता स्कूल में नेहा शिक्षिका बन चुकी है। जीवन की सच्चाई समझने के बाद उन्होंने शिक्षण कार्य को ही अपने प्रोफेशन चुना। उनका मानना है कि मां शब्द गूढ़ है। मां के आंचल से ही जीवन का सुनहरा सफर शुरू होता है। मेरी ‘प्रेमदान’ मां ने मुझे इस लायक बनाया है कि मैं बच्चों को जीवन का दर्शन बता सकूं। मेरी जननी आज भी जहां हो, उसे खुशियों का संसार मिलता रहे।
सेंट जोसेफ गर्ल्स इंटर में पढ़ने वाली छात्रा अंजना के चेहरे पर वही खुशी दिखाई देती है, जो माता से मिलने वाले प्यार में मिलती है। अंजना इस समय आठवीं कक्षा की छात्रा है। उनका मकसद साफ है कि पढ़कर ऐसे लोगों के लिए एक मिशन चलाना, जो मानवता के दुश्मन है। इसके लिए वो एक जागरूकता कार्यक्रम तैयार कर रही है। इसमें लोगों को मानवीयता के पाठ पढ़ाने पर बल दिया जा रहा है।
आध्यात्मिक निदेशक फादर मून लाजोरस ने बताया कि आत्मविश्वास और कुछ गुजरने की तमन्ना इन युवतियों की सबसे बड़ी ताकत है। हमारी कोशिश है कि इन्हें भी किसी वारिस का नाम मिल सके। इन्हें इनके माता-पिता के रूप में प्रेमदान मिलता है और हमें चेहरे पर खुशियां देकर सुकून। इन युवतियों के कदम लगातार कामयाबी की ओर बढ़ रहे हैं।
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