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नई दिल्ली। बिहार में इन दिनों ‘लेडी सिंघम’ का नाम लोगों के जुबां पर खूब चढ़कर बोल रहा है. ये वो नाम है जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता है, उसे देखना चाहता है. महज कुछ साल की ही सर्विस में इस लेडी आईपीएस ने ऐसा काम किया है जिससे बाहुबली से लेकर अपराधी तक खौफ खा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं लेडी आईपीएस अधिकारी लिपि सिंह की जो इन दिनों मिशन ‘अनंत’ पर हैं. मिशन अनंत यानी मोकामा से बाहुबली विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी. इस बाहुबली से जहां अच्छे-अच्छे लोग खौफ़ खाते रहे हैं. वहीं एके-47 केस में नाम आने के बाद लिपि सिंह ने अनंत सिंह की गिरफ्तारी के लिए कमर कस ली है.
इस लेडी आईपीएस अधिकारी को लोग ‘लेडी सिंघम’ कहकर बुला रहे हैं. सामान्य कद काठी और मासूम सी दिखने वाली इस महिला आईपीएस अधिकारी से इलाके के अपराधी थर्राते हैं, खुद अनंत सिंह जैसे बाहुबली के भी नाक में दम हो रखा है. शायद यही वजह है कि अनंत सिंह खुद उनकी टीम के डर से फरार चल रहे हैं तो कभी उन पर आरोप लगा रहे हैं.
कौन है लिपि सिंह?
लिपि सिंह जेडीयू के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह की बेटी हैं. आरसीपी सिंह की पहचान न केवल जेडीयू के सासंद के तौर पर होती है बल्कि वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निकट सहयोगी और पूर्व आईएएस अधिकारी भी हैं. आरसीपी सिंह की बड़ी बेटी लिपि सिंह वर्ष 2015 में यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बनीं.
लिपि सिंह को मिला था बिहार कैडर
सिविल सर्विस परीक्षा में लिपि सिंह को 114वां रैंक मिला था. 33 साल की लिपि सिंह को नालंदा जिले से पहली महिला आईपीएस आफिसर बनने का गौरव प्राप्त हुआ है. बिहार के नालंदा जिले की पहचान आईएएस-आईपीएस की फैक्ट्री के रूप में होती है. आरसीपी सिंह नालंदा जिले के अस्थावां प्रखंड के मुस्तफापुर गांव के निवासी हैं.
कानून की भी कर रखी है पढ़ाई
लिपि सिंह का सपना आईपीएस अधिकारी बनने का था जो उन्होंने पूरा कर के दिखाया है. लिपि ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है. आईपीएस बनने के उनका सेलेक्शन एलायड सर्विस के लिए हो गया था. लेकिन लिपि ने सर्विस ज्वाइन करने के बजाय फिर से परीक्षा दी और आईपीएस बन गईं. लिपि ने ट्रेनिंग में भी बढ़िया काम किया था. ट्रेनिंग के बाद उनको केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार काडर अलॉट कर दिया था.
आईएएस अधिकारी थे आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह भी राजनीति में आने के पहले एक आईएएस अधिकारी थे. उन्हें यूपी काडर में लंबे समय तक काम किया है. नीतीश कुमार जब केंद्र में मंत्री बने, तो आरसीपी सिंह दिल्ली में उनके प्राइवेट सेक्रेट्री थे. इस दौरान दोनों ने लंबे समय तक साथ में काम किया. वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, तब आरसीपी सिंह प्रिंसिपल सेक्रेट्री बनकर आये. कहा जाता है कि आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार के कहने पर आईएएस की नौकरी छोड़ दी और जेडीयू ज्वाइन किया. नीतीश ने बाद में उनको राज्यसभा का सांसद बनाया और फिलहाल वो पार्टी (जेडीयू) में नंबर 2 की हैसियत रखते हैं.
थर-थर कांपते हैं इलाके के अपराधी
लिपि सिंह ने पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनका डंडा कानून के हिसाब से बालू माफिया और अपराधियों के खिलाफ लगातार चलता रहा है. बाहुबली विधायक अनंत सिंह के घर हुई रेड में भी पुलिस टीम को लिपि सिंह लीड कर रही थीं. बाढ़ की एएसपी होने के नाते उन्होंने न केवल इलाके में अपराधियों का जीना मुहाल कर रखा है बल्कि शराब, बालू, समेत अवैध हथियारों के कारोबार पर भी नकेल कस कर रखा था. अनंत सिंह के समर्थकों पर लिपि सिंह का कहर लगातार टूटता रहा है. लिपि के बारे में कहा जाता है कि वो अपने अधिकारियों को आदेश देने की बजाए अधिकांश ऑपरेशन को खुद लीड करती हैं.
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