Election Results 2019: ‘पिक्चर अभी बाकी है’…बहुमत के बाद भी सरकार बनाने के ये हैं 3 विकल्प

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. उम्मीद के मुताबिक बीजेपी शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है. 288 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 144 है. बीजेपी को उम्मीद से कम सीटें मिली हैं. ऐसे में शिवसेना ने उसके सामने शर्तों को रखना शुरू कर दिया है. ऐसे में लग रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाना इन दोनों पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा. ऐसे में महाराष्ट्र में सरकार बनाने की तीन तस्वीरें सामने आ रही हैं.
अभी तक के रुझानों में महाराष्ट्र में बीजेपी को 104 सीटों पर बढ़त मिल रही है. शिवसेना को 62 सीटों पर बढ़त दिख रही है. वहीं एनसीपी 51 और कांग्रेस 38 सीटों पर बढ़त बनाती दिख रही है. रुझानों के बाद शिवसेना और एनसीपी की ओर से आए बयानों ने राज्य की सियासत को दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में सरकार बनने के तीन विकल्प बचते हैं.

1. पहले विकल्प में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन है. ये दोनों साथ में चुनाव लड़े और बहुमत के आंकड़े तक पहुंचे भी हैं. ये दोनों दल 165 से 170 सीटों पर जीतते दिख रहे हैं. लेकिन ये तस्वीर जितनी साफ है, दरअसल इसके पीछे की सच्चाई उतनी ही धुंधली है.

क्या है दिक्कत: शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति लंबे समय तक खुद को बड़ा भाई कहती रही है. इसके अलावा उसकी नजर महाराष्ट्र के सीएम पद पर भी टिकी है. ये पहला चुनाव है, जब शिवसेना बीजेपी से कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पिछले चुनावों के मुकाबले कम सीटें मिली हैं. पिछली बार उसे 122 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार वह 104 के आसपास सिमटती दिख रही है. ऐसे में शिवसेना बीजेपी के खिलाफ ज्यादा हमलावर हो सकती है. रुझानों के बाद शिवसेना की ओर से जो बयान आया, उससे बीजेपी की चिंता बढ़नी स्वाभाविक है. शिवसेना ने सीएम पद पर दावा करते हुए आधे मंत्री पद भी मांगे हैं. उसकी ओर से ढाई ढाई साल के लिए भी सीएम पद का सुझाव दिया गया है. जाहिर है बीजेपी को ये शर्तें मंजूर नहीं होंगी.

2. शिवसेना की धमकी के बाद बीजेपी दूसरा विकल्प आजमा सकत है. बीजेपी शिवसेना को झटककर शरद पवार की एनसीपी के साथ मिला सकती है. एनसीपी एनसीपी को 50 से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं. ऐसे में अगर वह बीजेपी के साथ हाथ मिला ले तो सरकार आसानी से बन सकती है. 2014 में चुनाव हारने के बाद विधानसभा में एनसीपी ने कई बार बीजेपी का साथ दिया था.

क्या है दिक्कत
एनसीपी बीजेपी की स्वाभाविक साथी नहीं है. शरद पवार अपनी सेक्युलर छवि के कारण भी बीजेपी के साथ हाथ मिलाने से झिझक सकते हैं. पार्टी के कई मुस्लिम नेताओं के छिटकने का दबाव हो सकता है.
3. महाराष्ट्र में शिवसेना के पास भी सरकार बनाने का विकल्प है. बीजेपी के बाद वह राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. अगर शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस को साथ ले आए तो इनकी सीटें 150 से ज्यादा हो सकती हैं, जो राज्य में सरकार बनाने के लिए काफी होंगी. शिवसेना एनसीपी के साथ सीएम और डिप्टी सीएम के फॉर्मूले या ढाई ढाई साल सीएम पद अपने पास रखने का विकल्प सोच सकती है.

क्या है दिक्कत

शिवसेना के साथ जाने में एनसीपी से ज्यादा कांग्रेस को हो सकती है. कांग्रेस कभी भी शिवसेना के साथ जाने का जोखिम नहीं लेगी. ऐसे में इस गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच यही होगा. बीएमसी में भी जब शिवसेना बहुमत से पीछे रह गई थी तब कांग्रेस ने उसके साथ जाने से मना कर दिया था.

शरद पवार कर चुके हैं इनकार
शरद पवार वैसे तो शिवसेना के साथ जाने से इनकार कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है, वह विपक्षमें बैठेंगे. शिवसेना के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन शरद पवार को जानने वाले कहते हैं कि वह अक्सर जो बोलते हैं, राजनीति में उसके ठीक उलट करते हैं.

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