नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने दावा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में वापसी चाहते थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया क्योंकि नीतीश पर उनका भरोसा पूरी तरह खत्म हो गया था। उधर मामले में प्रशांत किशोर ने जवाब दिया है।
दरअसल लालू प्रसाद यादव पर लिखी किताब ‘गोपालगंज टू रायसीना: माय पॉलिटिकल जर्नी’ जल्द लॉन्च होने वाली है। इस किताब में लालू के हवाले से बड़े दावे किए गए हैं। इसमें लिखा है कि नीतीश कुमार ने जेडीयू उपाध्यक्ष और अपने विश्वासपात्र प्रशांत किशोर (PK) को अलग-अलग मौकों पर अपना दूत बनाकर उनके पास पांच बार भेजा। प्रशांत किशोर ने हर बार नीतीश की ‘धर्मनिरपेक्ष’ धड़े में वापसी पर लालू को राजी करने की कोशिश की। हालांकि, इस दावे को प्रशांत किशोर ने खारिज कर दिया है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर इसका जवाब दिया है। उन्होंने अपने आधिकारिक अकाउंट पर लिखा, ‘लालूजी द्वारा बताए गए दावे गलत हैं। यह और कुछ नहीं बल्कि एक ऐसे नेता द्वारा अपनी प्रासंगिकता बताने की कोशिश का एक घटिया प्रयास है, जिनके अच्छे दिन पीछे छूट चुके हैं।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘हां, जेडीयू में शामिल होने से पहले हमने कई बार मुलाकात की, लेकिन अगर मुझे यह बताने को कहा जाए कि उसमें क्या चर्चा हुई तो वे काफी शर्मिंदा होंगे।’
बता दें कि नलिन वर्मा के साथ मिलकर लिखी इस किताब में लालू के हवाले से लिखा गया है कि प्रशांत किशोर यह जताने की कोशिश कर रहे थे कि अगर मैं जेडीयू को लिखित में समर्थन दूं तो वह बीजेपी से गठबंधन तोड़कर महागठबंधन में दोबारा शामिल हो जाएंगे। इस किताब में ये भी लिखा है कि नीतीश को लेकर मेरे मन में कोई कड़वाहट नहीं है, लेकिन मेरा उन पर से विश्वास पूरी तरह खत्म हो चुका है।
The claims made by Laluji as reported are BOGUS. This is nothing but a poor attempt seeking relevance by a leader whose best days are behind him.
Yes, we did meet many times before I joined JDU, but if I were to tell what all was discussed then he would be quite embarrassed. https://t.co/9B5clUBxea
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 5, 2019
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