पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (16 फरवरी) को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आदि महोत्सव का उद्घाटन किया। यह अपने तरह का एक मेला है, जिसमें आदिवासी संस्कृति, शिल्प, खान-पान, कॉमर्स और पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया जाएगा।
मोदी ने कहा-यह अनंत विवधिताएं हमें एक भारत-श्रेष्ठ भारत के सूत्र में पिरोती हैं। आप सभी को ‘आदि महोत्सव’ की हार्दिक शुभकामनाएं। ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत की अनेकता और भव्यता आज एक साथ खड़ी हो गई हैं। यह भारत के उस अनंत आकाश की तरह है जिसमें उसकी विविधताएं इंद्रधनुष की तरह उभर कर सामने आ जाती हैं। उनके उत्पादों के माध्यम से विभिन्न कलाओं, कलाकृतियों, संगीत और सांस्कृतिक प्रदर्शन को देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे लगता है कि भारत की विविधता और इसकी भव्यता एक साथ आ गई है और आज इसकी परंपरा को उजागर कर रही है।
जब विविधताओं को एक भारत श्रेष्ठ भारत के धागे में पिरोया जाता है, तो भारत की भव्यता दुनिया के सामने उभरती है। यह आदि महोत्सव इसी भावना का प्रतीक है। यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है। जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है। आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED) की यह एक वार्षिक पहल है। कार्यक्रम स्थल पर 200 से अधिक स्टालों में देश भर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित करेगा। महोत्सव में लगभग 1000 आदिवासी कारीगर भाग लेंगे। 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसलिए इस महोत्सव का फोकस हस्तशिल्प, हथकरघा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण आदि जैसे सामान्य आकर्षणों के साथ आदिवासियों द्वारा उगाए गए श्री अन्न(अनाज) को प्रदर्शित करने पर होगा। क्लिक करके ये भी पढ़ें
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