राहुल गांधी ने जीता जनता का भरोसा, अब फैसले का इंतजार

दिल्ली के यमुनापार का गांधीनगर क्षेत्र पूरी दुनिया में कपड़ों के थोक व्यापार के लिए मशहूर है। इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था छोटी-छोटी फैक्ट्रियों पर टिकी है जिनमें कपड़ों की रंगाई, सिलाई, कटाई या डिजाइनिंग का काम होता है। यहां के हर दूसरे घर में कपड़ों से जुड़ा कारोबार होता है। हर फैक्ट्री में दो-चार से लेकर दस-बीस वे मजदूर काम करते हैं जो रोजी-रोटी की तलाश में यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा या असम से आये हुए हैं। केंद्र सरकार ने जब नोटबंदी का निर्णय लिया था, तब इनमें से ज्यादातर फैक्ट्रियों में तालाबंदी जैसी स्थिति हो गई थी।

रही-सही कसर सीलिंग ने तोड़ दी जिसमें इस क्षेत्र के हजारों मकानों को सील कर दिया गया था। यही कारण है कि जब गुरुवार को राहुल गांधी ने गांधीनगर के गीता कॉलोनी में स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी से जुड़ा मुद्दा उठाया तो लोगों की तालियां रुकने का नाम नहीं ले रहीं थीं। स्थानीय कारोबारियों का एक बड़ा जनसमूह उन्हें सुनने आया था।

गांधीनगर के अंगद कॉलोनी से राहुल को सुनने आये वसीम खान के मुताबिक उन्हें सरकार से किसी बड़े तोहफे की उम्मीद नहीं होती। वे तो केवल इतना चाहते हैं कि उन्हें ईमानदारी से काम करने दिया जाए, उसमें किसी तरह की रुकावट न डाली जाए। लेकिन वर्तमान सरकार के फैसलों ने उनसे मेहनत करने का हक भी छीन लिया था। क्या उन्हें सरकार बदलने पर अपने बिजनेस में मजबूती आने की उम्मीद है, इस सवाल पर वसीम का कहना है कि ये बाजार बसने का सबसे बड़ा श्रेय कांग्रेस को ही जाता है। उनकी उम्मीद है कि सरकार बदलने से उनकी परेशानियां अवश्य कम होंगी।

यूरोपीय बाजारों में जीन्स के कपड़ों का एक्सपोर्ट बिजनेस करने वाले परमिंदर सिंह को लगता है कि इस समय बाजार ठप पड़ा हुआ है। अगर नई सरकार मजबूत बनती है तो इससे फैसलों में तेजी आएगी। ठप पड़े निर्माण उद्योग के साथ अन्य उद्योगों में भी गति आएगी।

निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों से भारी संख्या में लोग राहुल गांधी को सुनने आये थे। उनमें कांग्रेस की 72 हजार रुपये वार्षिक मदद की योजना बड़ी उम्मीद जगाए हुए है। कांग्रेस का झंडा लिए मैदान में घूमते राजू पाल का कहना है कि वे गाजीपुर से मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने दिल्ली आए हुए हैं। क्या उन्हें यह उम्मीद है कि कांग्रेस गरीबों को प्रति वर्ष 72 हजार रुपए देने का वायदा निभाएगी, राजू पाल कहते हैं कि उन्होंने मनरेगा में सौ दिन रोजगार देने की गारंटी वाली योजना का लाभ उठाया हुआ है। वह इसी कांग्रेस की देन था। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस अपना यह वायदा भी जरूर निभाएगी।

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