प्रमुख संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। ईधन के दामों पर एक महीने में 12वीं बार वृद्धि होने का असर वाहनों संचालकों की जेबों में दिखाई देने लगा है, लेकिन कोरोना काल ने उनकी आवाज को दबा कर रख दिया है। इस समय उनकी आवाज को कोई नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस, सपा और रालोद के कार्यकर्ता चुप हैं।
हालांकि सड़क पर बड़े वाहनों का आवागमन करीब-करीब बंद सा पड़ा है। बहुत कम संख्या में गाड़ियों का आवागमन दिखाई देता है, लेकिन पेट्रोल और डीजल (ईधन) की कीमतों पर लगातार हो रही वृद्धि का असर अब जेब पर पड़ता दिखाई दे रहा है। मई माह में करीब 12-13 बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का असर अब आम लोगों की जेबों में दिखाई देने लगा। पेट्रोल पंप पर जाने वाले लोग वृद्धि को देखकर कहने लगे… इतनी कीमत कम बढ़ गई। पता ही नहीं चला। डीजल की कीमत में वृिद्ध का असर अब हर क्षेत्र में जल्द दिखाई देगा। वजह माल ढोने वाले वाहनों के टैंक में बढ़ी हुई कीमत का डीजल भरेगा तो वह भी माल भाड़ा बढ़ाएंगे। सरकार भी किराया भाड़ा में वृिद्ध से पीछे नहीं रहेगी। तेल कंपनियों को लेकर लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है।
एडवोकेट विवेक महाजन कहते हैं कि सरकार की तेल कंपनियों को खुले छूट का नतीजा है। वैसे उद्योग और व्यापार बंद पड़े हैं। ऐसी स्थिति ईधन की कीमतों पर वृद्धि समझ से परे हैं। गृहणी सजनी गुप्ता का कहना है कि गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ने से रसोई का बजट गड़बड़ा रहा है। भगवान जाने महंगाई कहां जाकर रुकेगी।
Leave a Reply