मथुरा। बरसाना में राधारानी मंदिर में दर्शन को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाए जा रहे रोपवे का काम होली तक पूरा हो सकता है। जिन उपकरणों के अभाव में काम रुका है, उनके इसी माह के अंत तक पहुंचने की संभावना है। चीन से रोप और उसके साथ छह कंपार्टमेंट आ जाएंगे। इनके अलावा सारा काम लगभग पूरा हो चुका है। एक कंपार्टमेंट में 6-8 श्रद्धालु सफर कर सकेंगे।
तीर्थ नगरी बरसाना स्थित ब्रह्मांचल पर्वत के शिखर पर विराजमान लाडलीजी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना आठ साल पुरानी है। धीमी गति से चल रही इस परियोजना में कदम-कदम पर औपचारिकताओं के कारण देरी हुई। कभी जमीन का हस्तांतरण तो कभी पेड़ काटने की अनुमति ने इस परियोजना को लटकाए रखा। एनजीटी में ही पेड़ों को काटने की अनुमति लंबे समय तक अटकी रही। रोपवे का सामान चीन से मंगवाया गया, जहां कोरोना के कारण लॉकडाउन के चलते कई माह तक सामान नहीं आ सका।
पाबंदी हटी तो वहां से पिलर भेजे गए। इसके बाद धीरे-धीरे काम आगे बढ़ा। वर्तमान में बरसाना रोपवे का काम प्रगति पर है। रोपवे की लंबाई कुल 216 मीटर रहेगी, इसके सापेक्ष ही लंबी रोप आएगी। इसके अलावा छह कंपार्टमेंट भी आएंगे, जिनकी क्षमता छह से आठ लोगों की होगी। रोपवे परियोजना में रोप की मजबूती पर सबकी नजर रहेगी। यह रोप उच्च कोटि के इस्पात के तारों से बनी होगी। इसकी मजबूती के लिए किस प्रकार के मैटेरियल का प्रयोग किया गया है, विभागीय सूत्र इसका खुलासा नहीं करते। हालांकि बताया जा रहा है कि विशेषज्ञ इस रोप की गुणवत्ता की जांच करने के बाद ही काम को हरी झंडी दिखाएंगे।
फिलहाल मंदिर तक जाने के लिए भक्तों को करीब 251 सीढ़ियां चढ़ना पड़ता है। बुजुर्ग और बच्चों के लिए मंदिर की यह चढ़ाई कठिन रहती है। पूर्व में यहां पालकी भी चलती थीं, जो अब बंद हैं। चंद वाहन जोखिम भरी डगर से ऊपर पहुंचते हैं। इसी के परिणामस्वरूप 157 फीट ऊंचे रोपवे की परियोजना तैयार की गई। संबंधित कंपनी के साथ मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने 25 साल तक रोप-वे के संचालन का अनुबंध किया है। बरसाना रोपवे की आखिरी खेप फरवरी माह के अंत तक आने की उम्मीद है। रोपवे के महत्वपूर्ण हिस्से रोप और कंपार्टमेंट आ जाएंगे। इसके बाद जल्द ही इसे चालू करा दिया जाएगा।-नगेंद्र प्रताप, उपाध्यक्ष एमवीडीए
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