पानीपत रिफाइनरी पर वायु प्रदूषण फैलाने पर 17.31 करोड़ का जुर्माना, एनजीटी ने एक माह में राशि जमा कराने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पानीपत रिफाइनरी पर वायु प्रदूषण फैलाने और भूजल खराब करने के आरोप में 17.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। रिफाइनरी को उक्त राशि एक माह में सीपीसीबी में जमा करानी होगी।

एनजीटी ने रिफाइनरी को जल्द ही अपनी व्यवस्था सुधारने के भी निर्देश दिए हैं। उधर, इस संबंध में रिफाइनरी के जीएमएचआर जीएएन कोरेरा का कहना है कि मामले में उच्च अधिकारियों की मीटिंग चल रही है। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

एनजीटी के चेयरपर्सन आदर्श कुमार, ज्यूडिशियल मेंबर एसपी वांगड़ी, जस्टिस के रामाकृष्णन, ज्यूडिशियल मेंबर व एक्सपर्ट मेंबर नागेन नंदा ने डीसी सुमेधा कटारिया, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर 10 मई 2019 को मुआवजा वसूलने के आदेश जारी किए। मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी।

एनजीटी में शिकायत करने वाले सुताना गांव के सरपंच सतपाल सिंह का कहना है कि रिफाइनरी के कारण सुताना, ददलाना व बोहली गांव के लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। रिफाइनरी के पास प्रदूषण को नियंत्रित करने व प्रदूषित पानी को बाहर आने से रोकने की सही व्यवस्था नहीं है।

रिफाइनरी प्रदूषित पानी को ग्रामीण क्षेत्र की ग्रीन बेल्ट में छोड़ती है, जिससे सैकड़ों पेड़-पौधे सूख गए। कई बार की शिकायत के बाद भी जब स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने 2018 में बोहली व ददलाना गांव के सरपंचों के साथ मिलकर एनजीटी में शिकायत की।

15 नवंबर 2018 को एनजीटी के निर्देश पर डीसी, सीपीसीबी, एसएसपीसीबी की टीम ने गांव सुताना, बोहली व ददलाना का दौरा किया। 15 जनवरी 2019 को टीम ने एनजीटी में अपनी रिपोर्ट जमा कराई, जिसमें खामियां पाई गईं।

एक मार्च 2019 को एनजीटी ने रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और एचएसपीसीबी को आदेश दिए कि पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करें और रिपोर्ट सौंपें। 9 मई 2019 को एचएसपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसे सीपीसीबी और एचएसपीसीबी ने तैयार किया था।

ऐसे किया गया नुकसान का आकलन
आकलन समिति की रिपोर्ट के अनुसार रिफाइनरी के प्लांट द्वारा थिराना ड्रेन में छोड़े जा रहे प्रदूषित पानी से 83.33 लाख का नुकसान और बिना ट्रीट हुआ पानी छोड़ने से पानी के संकलन केंद्र में 4.87 लाख का नुकसान पाया गया। वातावरण को दोबारा सही करने के लिए 9.96 करोड़ की लागत आने का टीम ने आकलन किया। प्रदूषित पानी को ड्रेन में छोड़ने से 7 करोड़ 34 लाख के नुकसान आकलन किया गया।

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