
यूनिक समय, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में तेज़ी से बदलती टेक्नोलॉजी के बीच माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कदम रखने वाले युवाओं को बेहद अहम सलाह दी है। उनका कहना है कि यदि आप AI के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपनी बुनियादी तकनीकी समझ और सोचने की क्षमता को मजबूत बनाना जरूरी है।
हाल ही में टेक यूट्यूबर सज्जाद खड़े से बातचीत में नडेला ने कहा कि, “अगर आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, तो सॉफ्टवेयर और प्रोग्रामिंग की मूलभूत समझ होना अनिवार्य है। कंप्यूटेशनल थिंकिंग यानी गणनात्मक सोच आज भी पहले जितनी ही महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने बताया कि भले ही आज AI टूल्स जैसे GitHub Copilot कोडिंग में तेज़ी लाते हैं, लेकिन एक इंसान की तार्किक सोच और सिस्टम डिज़ाइन की समझ के बिना उनका इस्तेमाल अधूरा है। नडेला ने अपने एक अनुभव का ज़िक्र करते हुए बताया, “मैंने एक बार परसेंटाइल के लिए एक फिल्टर बनाया था, जिससे मुझे SQL की मूल बातें फिर से याद आ गईं।” यह अनुभव इस बात को दर्शाता है कि AI के साथ सफलतापूर्वक काम करने के लिए सोचने की मानवीय क्षमता बेहद ज़रूरी है।
सत्य नडेला ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट के कुछ प्रोजेक्ट्स में AI अब 20-30% कोड खुद लिख रहा है। उन्होंने “एजेंटिक AI” की भी चर्चा की, जो तकनीकी विकास के हर स्तर को प्रभावित कर रहा है।
माइक्रोसॉफ्ट ने भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के साथ मिलकर एक व्यापक AI स्किलिंग प्रोग्राम शुरू किया है। इसका उद्देश्य 2026 तक भारत के 5 लाख लोगों को AI से जुड़ी ट्रेनिंग देना है। इस पहल में छात्र, शिक्षक, डेवलपर्स, सरकारी अधिकारी और महिला उद्यमी शामिल हैं।
इस साझेदारी के तहत “AI Catalysts” नाम से केंद्र स्थापित किए जाएंगे, 10 राज्यों में 20 AI प्रोडक्टिविटी लैब्स बनाई जाएंगी और लगभग 20,000 शिक्षकों को AI प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सत्य नडेला ने कहा की AI हमारी मदद जरूर कर सकता है, लेकिन उसका सही इस्तेमाल तभी संभव है जब हमारे पास मज़बूत तकनीकी नींव और समस्या सुलझाने की इंसानी सोच हो।
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