नई दिल्ली। सरकारी अफसरों के ठाठ-बाठ के किस्से तो आपने खूब सुने होंगे और उनकी बीवियों कि खिदमत में हाजिर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की खबरें आपने देखी और पढ़ी होंगी. ताजा मामला हिमाचल की राजधानी शिमला का है. यहां साहब की पत्नी शिमला की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं और इनके लिए कैंपस में एक सरकारी गाड़ी खड़ी रहती है. ऐसे में सवाल उठता है कि एक प्राइवेट संस्थान में सरकारी गाड़ी क्या कर रही है?
यूनिवर्सिटी में जॉब करती हैं मेम साहब
पड़ताल में पता चला है कि शहरी विकास विभाग के एक बड़े ‘साहब’ की बीवी के लिए यह गाड़ी रोज यहां आती है. ‘साहब’ की पत्नी इस यूनिवर्सिटी की परीक्षा शाखा में एक बड़े पद पर तैनात हैं. यानी कि मैडम प्राइवेट नौकरी कर रही हैं. गाड़ी सुबह 7 से 7.30 बजे के बीच पहले साहब के घर जाती है. साहब के एक बच्चे को पहले सेंट एडवर्ड स्कूल छोड़ती है, फिर दूसरे बच्चे को तारा हॉल स्कूल पहुंचाया जाता है.
नॉल्सवुड में रहता है साहब का परिवार
नॉल्सवुड में साहब और उनका परिवार रहता है. बच्चों को छोड़ने के बाद साहब की बीवी को लेकर यह गाड़ी यूनिवर्सिटी पहुंचती है. दिन के समय में बच्चों को लेने यह गाड़ी फिर से जाती है. बच्चों को घर छोड़ने के बाद मैडम को लेने के लिए यह गाड़ी फिर से यूनिवर्सिटी के कैंपस में पहुंच जाती है. यह सिलसिला काफी कई साल से चल रहा है. क्योंकि मैडम को इस यूनिवर्सिटी में नौकरी करते हुए कुछ साल हो चुके हैं.
बताया गया कि अफसरशाही ने अपने हित्त के लिए यह व्यवस्था कर रखी है कि महीनेभर में 200 किलोमीटर गाड़ी व्यक्तिगत कार्यों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. लेकिन संविधान में इस अधिकार का जिक्र नहीं है.
निजी इस्तेमाल में 40 किमी चलती है कार
नॉल्सवुड से स्कूलों की दूरी और नॉल्सवुड से प्राइवेट यूनिवर्सिटी की दूरी का और चक्करों का मोटा-मोटा हिसाब-किताब लगाएं तो दिन में 40 किलोमीटर से ज्यादा तो यह गाड़ी दौड़ती ही है. जानकारी यह भी है कि शहरी विकास विभाग के किसी प्रोजेक्ट के लिए यह गाड़ी रखी गई थी. इस विभाग के कर्मचारियों को सरकारी फाइल लेकर सचिवालय तक आना-जाना होता है. सरकारी गाड़ी मिल गई तो ठीक वर्ना कई बार बस में सफर कर सचिवालय पहुंचना होता है. न्यूज18 ने जब साहब से बात करने की कोशिश की तो बताया गया कि वह मीटिंग में व्यस्त हैं, बात नहीं हो सकती है.
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