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महाराष्ट्र में एनडीए से अलग हुई शिवसेना के कारण राज्य में काफी हंगामा हुआ और उस हंगामे का शोर राष्ट्रपति शासन के साथ कम हुआ, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पा रहा है कि कौन किसके साथ हैं और कौन किसका दुश्मन बना बैठा है। एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन नहीं मिलते देख शिवसेना ने फिर पलटी मार ली है और बीजेपी के पास वापस जाने की तैयारी कर रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा के साथ शिवसेना की तल्खी के बीच एक बार फिर दोनों दलों में गठबंधन हो सकता है।
भाजपा के साथ खत्म नहीं हुआ गठबंधन
भाजपा से नाता तोड़ने के बाद जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से पूछा गया कि क्या भाजपा का विकल्प पूरी तरह से बंद हो गया है, तो उन्होने कहा कि आपको इतनी जल्दी क्या है। यह राजनीति है। राष्ट्रपति ने हमें सरकार बनाने के लिए छह महीने का समय दिया है। लोकसभा चुनाव के पहले किए गए वादे को पूरा न करके भाजपा ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने से इनकार किया है। अगर यह विकल्प खत्म होता है, तो यह उनकी वजह से होगा, न कि हमारी वजह से। यदि गठबंधन खत्म होता है, तो यह भाजपा होगी, जो इसे खत्म करेगी।
शिवसेना ने दिये फिर गठबंधन के संकेत
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन के फिर से संकेत देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले स्थिति यह थी कि भाजपा संसद में 200-220 सीट से ज्यादा नहीं जीतेगी। तब उन कठिन समय में मैं था, जो भाजपा के साथ गया। लिहाजा, भाजपा में जाने का विकल्प फिर से उन्हीं के द्वारा खत्म किया गया है। भाजपा अभी भी संपर्क में है, लेकिन वह हर रोज नए ऑफर के साथ आ रही है। इसी के साथ ही शिवसेना ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगते ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। शिवसेना की ओर से अभी SC में राज्यपाल के द्वारा अधिक समय ना दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई है।
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