मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन बहुत अहम् माना जा रहा है. ख़बर है कि आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार मुलाक़ात करेंगे. पवार कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने दिल्ली जाएँगे. वहाँ वो इस बारे में चर्चा करेंगे कि शिवसेना अगर समर्थन मांगती है तो उसको समर्थन देने में क्या निर्णय लिया जाए और अगर समर्थन दिया जाए तो उसकी शर्तें क्या हों.
इस तरह की भी ख़बरें आ रही हैं कि एनसीपी ने शिवसेना से कहा है कि अगर वो वाक़ई में संजीदा है और समर्थन चाहती है तो पहले उसे केंद्र की मोदी सरकार से अपना समर्थन वापिस लेना होगा. इस पर शिवसेना विचार कर रही है, वहीँ शिवसेना अध्यक्ष इस बात को मानते हैं कि भाजपा से पार्टी को अब गठबंधन तोड़ देना चाहिए लेकिन वो इस बारे में अभी विचार कर रहे हैं कि आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया जाए या नहीं.
शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में से कुछ ये मानते हैं कि अभी सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को दी जाए. पवार वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें हर तरह की परिस्थिति से मुक़ाबला करने का भी अनुभव है. इसके अलावा शिवसेना इसके ज़रिये सन्देश भी दे देगी कि उसे मुख्यमंत्री पद का लोभ नहीं है. शिवसेना और भाजपा की खींचतान में वोटरों के पास ये भी सन्देश गया है कि दोनों दल सत्ता को लेकर लड़ रहे हैं, शिवसेना अपने इस दाँव से जनता के बीच अपनी छवि बेहतर कर लेगी.आपको बता दें कि चुनाव नतीजों के बाद से ही शिवसेना और भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद उभर आये. शिवसेना 50-50 फ़ॉर्मूला के तहत ढाई साल के लिए अपना मुख्यमंत्री चाह रही थी लेकिन भाजपा ने सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करके कहा कि वो ही पाँचो साल मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहेगी. इसके बाद दोनों पार्टियों के नेताओं में कटाक्ष का दौर चला.
भाजपा के कुछ नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया कि शिवसेना की पुरानी आदत है शुरू में झगड़ा करना बाद में मान जाना लेकिन अब मामला काफ़ी बढ़ता दिख रहा है. शिवसेना और भाजपा के इस क्राइसिस में एनसीपी और कांग्रेस बहुत सोच समझ कर अपना क़दम उठा रहे हैं. उन्हें अभी तक शिवसेना पर पूरा भरोसा नहीं हो पाया है क्यूँकि अभी तक आधिकारिक तौर पर शिवसेना ने दोनों दलों से समर्थन नहीं माँगा है.
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