चौकाने वाली खबर: भाजपा और शिवसेना की लड़ाई में किसे मिला सबसे ज्यादा फायदा

भाजपा और शिवसेना में सबसे ज्यादा फायदा प्रियंका चतुर्वेदी को मिला है, क्योंकि प्रियंका चतुर्वेदी बीजेपी की धुर विरोधी रही है।

वह कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी की सर्वश्रेष्ठ प्रवक्ता में से एक थीं। उन्होंने कुछ मुद्दों के कारण कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बाद में शिवसेना पार्टी में शामिल हो गयी। पिछले कई महीनों से, वह शिवसेना के प्रवक्ता के रूप में किसी भी बड़े सत्र में नहीं आईं।

पिछले कई सालों में, उन्होंने बीजेपी के खिलाफ कई बातें कही, उनकी विचारधाराओं और काम की आलोचना की। शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी थी, इसलिए शिवसेना में शामिल होने के बाद एक बार कांग्रेस पार्टी की आलोचना करना और भाजपा की प्रशंसा करना एक मुश्किल काम होगा।

अब, भाजपा और शिवसेना के बीच संघर्ष की स्थिति है। वह स्वतंत्र रूप से बीजेपी की आलोचना कर सकती है और अपने पुराने बिंदुओं के साथ खड़ी हो सकती है ।

मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी से करने वाली किताब ढोंग, चमचागिरी की हद है: शिवसेना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी से करने वाली किताब को शिवसेना ने ‘पाखंड और चाटुकारिता’ की हद बताया है और जोर देकर कहा कि मोदी ‘भारत के राजा’ नहीं हैं. मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा नेताओं को छत्रपति शिवाजी पर कुछ किताबें पढ़ने की सलाह दी और कहा कि यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 17वीं सदी के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी से तुलना पसंद नहीं आई होगी. इसमें कहा गया कि महाराष्ट्र में गुस्से की लहर है लेकिन यह प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं बल्कि ‘‘आज का शिवाजी: नरेंद्र मोदी” किताब के खिलाफ है.

मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी से करने वाली किताब ढोंग, चमचागिरी की हद है: शिवसेना

गौरतलब है कि किताब भाजपा के नेता जय भगवान गोयल ने लिखी है. इससे महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है.शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने किताब की आलोचना की और मोदी की तुलना शिवाजी महाराज से किए जाने को ‘अपमान’ बताया. शिवसेना ने संपादकीय में लिखा, ‘‘गुस्से की लहर मोदीजी के खिलाफ नहीं बल्कि किताब के खिलाफ है, यह अपने आप में ढोंग और चमचागिरी की हद है.” इसमें लिखा गया, ‘‘ मोदी एक कर्तबगार और लोकप्रिय नेता हैं, देश के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कोई तोड़ नहीं. फिर भी वे देश के छत्रपति शिवाजी हैं क्या? उन्हें छत्रपति शिवराय का स्थान देना सही है क्या? इसका उत्तर एक स्वर में यही है, ‘नहीं… नहीं…!’ उनकी तुलना जो लोग शिवाजी महाराज से कर रहे हैं उन्होंने छत्रपति शिवाजी राजे को समझा ही नहीं. प्रधानमंत्री मोदी को भी ये तुलना पसंद नहीं आई होगी. लेकिन अति उत्साही भक्त नेताओं के लिए अक्सर परेशानी खड़ी कर देते हैं. ये मामला भी कुछ ऐसा ही है.”

सामना के संपादकीय में लिखा गया, ‘‘अभी जो लोग मोदी को ‘आज के शिवाजी’ के रूप में संबोधित कर रहे हैं इन्हीं लोगों ने लोकसभा चुनाव के पहले मोदी को विष्णु का तेरहवां अवतार माना था. कल विष्णु के अवतार, आज ‘शिवाजी’. इसमें देश, देव और धर्म का अपमान है ही लेकिन मोदी भी घेरे में हैं. ‘आज के शिवाजी नरेंद्र मोदी’ नामक पुस्तक ढोंग और चमचागिरी का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है. महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं को इस ढोंग का खुलकर विरोध करना चाहिए.” शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र की 11 करोड़ जनता को यह तुलना बिलकुल पसंद नहीं आई. बता दें कि छत्रपति शिवाजी के वंशज एवं भाजपा विधायक शिवेंद्रराजे भोंसले ने भी  इस किताब को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.

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