उत्तर प्रदेश के जिले चित्रकूट से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मृत बुजुर्ग को बस में बैठाकर अस्पताल कर्मी फरार हो गए। दरअसल शहर के सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के स्वास्थ्य कर्मियों ने तो सारी हदें ही पार कर दी। यहां पर आंख बनवाने आए एक बुजुर्ग की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इसके बाद शव को आनन-फानन में अस्पताल के कर्मियों ने प्राइवेट बस में बैठा दिया और वहां से चले गए। उसके बाद जब कंडक्टर ने टिकट के लिए पैसे मांगे तो उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गई क्योंकि वह मुर्दा था। तुरंत बस कंडक्टर ने बुजुर्ग के शव को उतारकर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की तफ्तीश में जुट गई।
जानकारी के अनुसार यह शहर की कोतवाली क्षेत्र का बस स्टैंड है। ऐसा बताया जा रहा है कि बीती 21 जुलाई को सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय की टीम ने रैपुरा थाना क्षेत्र के इटवा के मजरा रौखरीपुरवा में कैम्प लगाकर आंख की जांच की थी, जिसमें बाबूलाल (77) पुत्र महादेव को आंख बनवाने की सलाह दी गयी थी। उसके बाद बुजुर्ग बाबूलाल ने सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय की टीम के साथ आंख बनवाने के लिए अस्पताल पहुंचा था। वहां डॉक्टरों ने उसकी आंख का ऑपरेशन करने के बाद बुधवार की सुबह डिस्चार्ज भी कर दिया। इसके बाद बुजुर्ग बाबूलाल को अपने वाहन से उसे उसके गांव तक छोड़ने जाना था, लेकिन उसकी हालत बिगड़ने पर सद्गुरू नेत्र चिकित्सालय ने आनन-फानन में अपने स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपनी एक गाड़ी भेज कर कर्वी बस स्टैंड में आंख बनवाने आए दूसरे साथी के साथ प्राइवेट बस में जबरन बैठा दिया और मौके से रफूचक्कर हो गए।
बस जब चलने लगी तो कंडक्टर ने बुजुर्ग से टिकट के लिए पैसे मांगे तो उसकी मृत्यु हो चुकी थी। आनन-फानन में बस कंडक्टर ने बस को रुकवाकर शव को बस से नीचे उतारकार पुलिस को जानकारी दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और उसके जेब से मिला आधार कार्ड के जरिए उसकी शिनाख्त करते हुए उसके परिजनों को सूचना दी। बुजुर्ग की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। मृतक के बेटे भोला प्रसाद ने बताया कि पिता को चिकित्सालय ले गए थे और एम्बुलेंस से घर छोड़ने की बात भी कही थी लेकिन बिना बताए बस स्टैंड में छोड़ दिया गया।
बुजुर्ग की इस तरह से मौत के बाद अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है कि उनकी हालत बिगड़ी थी तो मृतक को अस्पताल में भर्ती कर इलाज क्यों नहीं किया गया। इतना ही नहीं जब गांव में कैंप लगाकर आंख बनवाने वाले लोगों को अपने साधन से अस्पताल लाकर उनका इलाज करने के बाद उनको एंबुलेंस से घर तक छोड़ने तक का जिम्मा है तो क्यों उनको प्राइवेट बस में बिठाया गया। बुजुर्ग बाबूराम की मौत पर सद्गुरू नेत्र चिकित्सालय पर कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। लेकिन यह अस्पताल चित्रकूट के मध्य प्रदेश के इलाके में पड़ने की वजह से यूपी प्रशासन भी कार्रवाई करने में अपने हाथ खड़ा कर रहा है।
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