चुनाव 2019: एक की बजाए 5 EVM- VVPAT का औचक मिलान अनिवार्य:सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने EVM- VVPAT का औचक मिलान करने संबंधी विपक्ष की याचिका पर सोमवार को बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक की बजाए 5 EVM- VVPAT का औचक मिलान होगा। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आम चुनावों में हर निर्वाचन क्षेत्र से EVM- VVPAT के औचक मिलान के लिए EVM की संख्या बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह संख्या 1 से बढ़ा कर पांच कर दी है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा, ‘हर विधानसभा में EVM- VVPAT मिलान की संख्या इसलिए बढ़ाई गई है ताकि सटीकता बढ़े, चुनावी प्रक्रिया सही हो और न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि मतदाता भी इससे संतुष्ट हो।’ वीवीपीएटी पर्चियों के ईवीएम मशीनों के साथ मिलान की मांग को लेकर विपक्ष के करीब 21 नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। विपक्ष की मांग है कि एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपीएटी पर्चियों की मिलान किया जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता पर आंच न आए।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच विपक्षी पार्टियों की 50% पर्चियों के मिलान की मांग पर सहमत नहीं हुई। बेंच ने कहा, इसके लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी, बुनियादी ढांचे को देखते हुए ये मुमकिन नहीं लगता। इससे पहले सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वीवीपैट स्लिप गिनने का मौजूदा तरीका सबसे उपयुक्त है।

अभी सिर्फ 1 पोलिंग बूथ पर होता है मिलान
मौजूदा प्रणाली के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में एक पोलिंग बूथ पर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान होता है। वहीं, आम चुनाव में लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों की एक-एक पोलिंग बूथ पर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान होता है।

विपक्षी दलों ने दायर की थी याचिका
चन्द्रबाबू नायडू के अलावा शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ऑब्रान, शरद यादव, अखिलेश यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, एमके स्टालिन, टीके रंगराजन, मनोज कुमार झा, फारुख अब्दुल्ला, एस एस रेड्डी, कुमार दानिश अली, अजीत सिंह, मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, जीतन राम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं।

क्या है वीवीपैट?
इसके तहत ईवीएम से प्रिंटर की तरह एक मशीन अटैच की जाती है। वोट डालने के 10 सेकंड बाद इसमें से एक पर्ची बनती है, इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया है उसका नाम और चुनाव चिन्ह होता है। यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है, इसके बाद मशीन में लगे बॉक्स में चली जाती है। इस मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड डिजायन किया है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल 2013 में नगालैंड विधानसभा चुनाव में हुआ था।

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