सूर्य नमस्कार शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है, अनुमोम विलोम कर बीमारियों से रहें दूर!

यूनिक समय, मथुरा। अब कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाना। मजबूत इम्यूनिटी बनाने के लिए न सिर्फ हेल्दी खाना खाएं बल्कि योग भी करें।

रोजाना योग करने से शरीर में एनर्जी का संचालन तो होता ही है साथ ही कई प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए दिन में एक घंटा योग जरूर करें। योग करने के दैरान सूर्स नमस्कार का अभ्यास जरूर करें। ये आसन शरीर में स्फूर्ति लाता है। साथ ही मौसमी बीमारियों से बचने के लिए अनुलोम विलोम जरूर करें।

सर्वांग पुष्टि आसन
हर अंग की चर्बी घटाने के लिए करें ‘सर्वांग पुष्टि आसन’ सारे अंगों की चर्बी घटाने के लिए करें सर्वांगपुष्टि आसन करें। लेकिन जो लोग लोअर बैक पेन की समस्या से परेशान हैं वे इस आसन को ना करें।

सर्वांग पुष्टि आसन के फायदे
-फैट को कम करता है
-कमर को लचीला बनाता है
-मांसपेशियों को मजबूत बनाता है
-मोटापा कम करता है

सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार को सभी योगासनों में सबसे ज्यादा पावरफुल माना जाता है। सूर्य नमस्कार ऐसा योग है जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है। पर सूर्य नमस्कार को करने का सही तरीका बहुत कम लोग जानते हैं।

प्रणाम आसन- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पंजे जोड़कर अपने आसन मैट के किनारे पर खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को कंधे के समान्तर उठाएं और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। दोनों हथेलियों के पृष्ठभाग एक दूसरे से चिपकाए रहें और नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।

हस्ततुन्नासन– इस आसन को करने के लिए गहरी सांस भरें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। अब हाथ और कमर को झुकाते हुए दोनों भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं।

हस्तपाद आसन- इस आसन में बाहर की तरफ सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ नीचे की ओर झुकें। अपने दोनों हाथों को कानों के पास से घुमाते हुए ज़मीन को छूएं।

अश्व संचालन आसन- इस आसन में अपनी हथेलियों को ज़मीन पर रखें, सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं और बाएं पैर को घुटने की तरफ से मोड़ते हुए ऊपर रखें। गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं और कुछ देर इसी स्थिती में रहें।

पर्वत आसन- इस आसने को करने के दौरान सांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधी रेखा में रखें और अपने हाथ ज़मीन पर सीधे रखें।

अष्टांग नमस्कार- इस आसन को करते वक्त अपने दोनों घुटने ज़मीन पर टिकाएं और सांस छोड़ें। अपने कूल्हों को पीछे ऊपर की ओर उठाएं और अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुआएं और कुछ देर इसी स्थिति में रहें।

भुजंग आसन– इस आसन को करते वक्त धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए छाती को आगे की और ले जाएं। हाथों को ज़मीन पर सीधा रखें। गर्दन पीछे की ओर झुकाएं और दोनों पंजों को सीधा खड़ा रखें।

सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्य नमस्कार करने से स्ट्रेस दूर होता है, बॉडी डिटॉक्स होती है और मोटापा घटता है. जिन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या है यह उनके लिए काफी लाभकारी होता है. रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है.

शवासन
मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं और आंखें मूंद लीजिए। पैरों को आराम की मुद्रा में हल्का खोल कर रखें। पैर के तलवे और उंगलियां ऊपर की तरफ होनी चाहिए। हाथों को बगल में रखकर हथेलियों को ऊपर की तरफ खोलकर रखें। पैर से लेकर शरीर के हर भाग पर ध्यान केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे सांस अन्दर बाहर करें. धीरे धीरे इसे कम करें। जब शरीर में राहत महसूस हो तो आंखों को बंद करके ही थोड़ी देर उसी मुद्रा में आराम करें।

कपालभाति
कपालभाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है। कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता अर्थात ‘कपालभाति’ वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है। वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी हैं। लीवर किडनी और गैस की समस्या के लिए बहुत लाभ कारी है। कपालभाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें।

इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें। साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें। इसके तुरंत बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते हैं। इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैं लेकिन एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें। क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं। इसे कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 30 मिनट तक कर सकते हैं।

कपाल भाति के फायदे
-ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है
-सांस संबंधी बीमारियों को दूर करमे में मदद मिलती है. विशेष रूप से अस्थमा के पेशेंट्स को खास लाभ होता है.
-महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी
-पेट की चर्बी को कम करता है
-पेट संबंधी रोगों और कब्ज की परेशानी दूर होती है
-रात को नींद अच्छी आती है

ये लोग कपालभाति न करें
-प्रेग्नेंट महिलाओं को इसे करने से बचना चाहिए
-जिनकी कोई सर्जरी हुई हो वह इसे न करें
-गैसट्रिक और एसिटिडी वाले पेशेंट्स इसे धीरे-धीरे करने की कोशिश करें.
-पीरियड्स में बिल्कुल न करें.
-हाई बीपी और हार्ट संबंधी रोगों के पैशेंट्स इसे करने से बचें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम
सबसे पहले चौकड़ी मार कर बैठें. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए. अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
-फेफड़े मजबूत होते हैं
-बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता.
-वजन कम करने में मददगार
-पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है
-तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए मददगार
-गठिया के लिए भी फायदेमंद

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