रमाबाई अंबेडकर मैदान में होने वाले समाजवादी पार्टी के प्रांतीय और राष्ट्रीय सम्मेलन को कई मायने में अहम माना जा रहा है। पार्टी की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा होगा जब यह सम्मेलन पूरी तरह से अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा। सम्मेलन में मुलायम पीढ़ी के नेताओं का आभाव भी दिखाई पड़ेगा। इसी के साथ परिवारवाद से भी दूरी नजर आएगी।
समाजवादी पार्टी की ओर से 28 को प्रांतीय और 29 सितंबर को होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। इस बीच कई आर्थिक और सामाजिक प्रस्ताव भी पारित होंगे। भले ही अखिलेश काफी पहले से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहे हों लेकिन यह उनका पहला सम्मेलन होगा जिसमें वह खुद ही सर्वेसर्वा होंगे। अभी यह भी संशय है कि इस सम्मेलन में पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव पहुंचेंगे भी या नहीं। मुलायम के साथ के ज्यादातर नेता इस समय पार्टी से किनारा कर चुके हैं। लिहाजा यह सम्मेलन पूरी तरह से नई सपा की झलक को दिखाएगा। इसी के साथ सम्मेलन में परिवारवाद की छाया भी दूर नजर आएगी। प्रो. रामगोपाल यादव राष्ट्रीय महासचिव तक ही सीमित हैं तो वहीं शिवपाल यादव बाहर हैं।
मुलायम परिवार के ज्यादातर सदस्य जो कि पार्टी में सक्रिय है वह अखिलेश यादव को ही अपना नेता मान चुके हैं। लिहाजा यह तय माना जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश यादव का ही चयन किया जाएगा। लेकिन नई कार्यकारिणी में नई सपा की झलक भी दिखाई पड़ेगी। इसमें कई ऊर्जावान चेहरों को तवज्जों दी जाएगी। माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष का पद फिर से नरेश उत्तम को ही मिलेगा। ज्ञात हो कि अखिलेश यादव 1 जनवरी 2017 को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे। इसके बाद 5 अक्टूबर को आगरा में राष्ट्रीय सम्मेलन में इस पर विधिवत मुहर भी लगाई गई थी। पहले सम्मेलन दो वर्षों पर होता था। लेकिन 2017 के बाद में इसे 5 साल बाद करने का फैसला लिया गया।
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