महाराष्ट्र के पुणे में लग्जरी पोर्शे कार से दो इंजीनियरों को रौंदने वाले किशोर के पिता ने भागने का प्लान बना लिया था, लेकिन पुलिस ने दबोच लिया। इसके लिए पुलिस ने जीपीएस से लेकर सीसीटीवी तक की मदद ली। महाराष्ट्र के पुणे में लग्जरी पोर्शे कार से दो इंजीनियरों को रौंदने वाले किशोर के पिता विशाल अग्रवाल ने भागने का प्लान बना लिया था, लेकिन पुलिस ने दबोच लिया। 17 साल के किशोर को कार देने के आरोप में पुलिस ने उसे अरेस्ट किया है।
किशोर के पिता पर जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के सेक्शन 75 और 77 के तहत केस दर्ज हुआ है। इसके अलावा आईपीसी की भी कई धाराएं लगी हैं। यही नहीं पुलिस का कहना है कि इस मामले में तो आरोपी किशोर पर भी वयस्क के तौर पर ही मुकदमा चलना चाहिए। पुलिस सूत्रों का कहना है कि किशोर के पिता के खिलाफ जैसे ही केस दर्ज हुआ था, वह भाग निकला था। पेशे से प्रॉपर्टी कारोबारी अग्रवाल ने भागने के लिए पूरा प्लान बनाया था।
इसी के तहत वह अपनी कार घर छोड़ गया था और ड्राइवर से कहा था कि वह मुंबई तक छोड़ दे। इसके बाद अपने ही दूसरे ड्राइवर से कहा कि वह उसे गोवा तक छोड़े। वह दूसरी कार भी उसकी ही थी। मुंबई के रास्ते में वह कार से उतर गया था और फिर एक दोस्त की कार में सवार होकर छत्रपति संभाजीनगर की ओर रवाना हुआ। कई कारों का इस्तेमाल इसलिए किया गया था कि पुलिस को भ्रम में डाला जा सके। इसके अलावा मोबाइल में उसने दूसरा सिम भी डाल लिया था ताकि पुलिस उसे ट्रैक न कर सके।
पुलिस ने बताया कि जब हमें जानकारी मिली कि आरोपी किशोर का पिता दोस्त की कार में है तो हमने उसे जीपीएस के जरिए ट्रैक करना शुरू किया। इसके बाद पुणे क्राइम ब्रांच की टीम ने रास्ते की सीसीटीवी फुटेज खंगाली और उसकी पहचान कर ली गई। पुलिस को उसके रूट की जानकारी थी। इस बीच किशोर का पिता जब संभाजीनगर पहुंचा तो देर रात रेड मारकर उसे अरेस्ट कर लिया गया। अब बुधवार को उसे अदालत में पेश किया जाएगा। किशोर के हाथ में पोर्शे जैसी लग्जरी कार देने के चलते उसकी आलोचना हो रही है, जिसमें 24 साल के दो इंजीनियरों की मौत हो गई।
देश भर में इस मामले में गुस्से की वजह यह भी है कि आरोपी किशोर को महज 15 घंटे के अंदर ही बेल मिल गई। इसके अलावा सजा के नाम पर सिर्फ यह कहा गया कि हादसे पर एक निबंध लिखो, 15 दिन तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करो। इसके अलावा शराब से बचने के लिए काउंसिलिंग लेने को कहा गया। अब पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का रुख किया है और 17 साल 8 महीने के किशोर के खिलाफ एक वयस्क के तौर पर ट्रायल चलाने की मांग की है। आज पुलिस की इस अर्जी पर भी फैसला आ सकता है। इस हादसे में एमपी के रहने वाले अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्ठ की मौत हो गई थी, जो पेशे से इंजीनियर थे।
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