पैरों की अंगुलियों से संगीत के स्वर, हैरान कलाकार का दर्द

देखा सबने, सराहा सबने लेकिन बढ़ाया किसी ने नही, गायिका अनुराधा पौंडवाल भी कर गई थीं तारीफ, ताज महोत्सव में भी मंडलायुक्त दे चुके हैं सम्मान, ड्रीम गर्ल हेमामालिनी से आस, शायद वह दर्द समझें, किराये के मकान में रह-रहकर जिंदगी काटने को विवश

मथुरा। कलाकार छोटा हो या बड़ा, कलाकार होता है। ऐसे ही एक कलाकार की यहां बात की जा रही है, वह है अंकित राज। उम्र करीब 32 वर्ष है। उसके पैरों की अंगुलियों से जब लोग संगीत सुनते हैं तो हक्के बक्के रह जाते हैं। उसकी जिंदगी के सब कुछ हैं तो सिर्फ पैर। ऐसी बात नहीं उन्हें सम्मान नहीं मिला हो, ताज महोत्सव 2006 में शिल्प, संस्कृति, कला व्यंजन समारोह के दौरान मंडलायुक्त अशोक कुमार के हाथों से उन्हें प्रशस्ति पत्र भी मिला। इस तरह से ना जाने कितने सम्मान पत्र मिले, किंतु अब इस कलाकार के मुंह से यह शब्द सुनाई देते हैं.. देखा सबने, सराहा सबने लेकिन बढ़ाया किसी ने नहीं।

वृंदावन में मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण की आवासीय कालोनी के सेक्टर 3 / 138 में रहने वाले कलाकार अंकित राज अपनी मां शमा देवी (64 वर्ष) के साथ रहते हैं। अंकित अपने दोनों हाथों से लाचार हैं। यहां तक कि उनकी मां ही अपने बेटे अंकित को कपड़े पहनाती हैं। ‘यूनिक समय’ से इस कलाकार की मुलाकात हुई। हालात देखकर एक बार तो मन में कई सवाल आए। केंद्र और प्रदेश सरकार कलाकारों के लिए क्या-क्या नहीं कर रही हैं, किंतु यह कलाकार गुमनामी जिंदगी जीने को विवश है। उसके पास ना तो खुद का मकान है और ना ही जिंदगी जीने के लिए पर्याप्त साधन।


कहने को उसके घर के एक कमरे में कई संस्थानों द्वारा दिए गए सम्मान-पत्र यह दर्शाते हैं कि अंकित राज के मन में संगीत बसा है। बातों ही बातों में अपने मन की बात भी ऐसे कहते हैं कि संगीत ही मेरी सारी दुनियां है। उन्होंने ना कभी स्कूल में कदम रखा और ना  किसी से संगीत सीखा, वह पैरों की अंगुलियों से संगीत की धुनों को निकालने के कार्य को गॉड गिफ्ट मानते हैं। म्युजिक के सिस्टम के की-बोर्ड पर जब उनके पैरों की अंगुलियां चलती हैं और फिर गायिका लता मंगेश्वर, किशोर कुमार, मौ. रफी और मुकेश कुमार के गीतों के स्वर निकलते हैं तो वह दर्शकों को यह अहसास करा देते हैं कि हम किसी से कम नहीं, हाथों में नहीं जान तो हौंसलों ने भरी उड़ान। जब हौंसले बुलंद हो तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता। अंकित राज कहते हैं कि वर्ष 2007 में मथुरा के मुकंद रिसोर्ट में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उसने पैरों से की -बोर्ड बजाया तो देश की प्रमुख गायिका अनुराधा पौंडवाल भी उनकी प्रशंसा की थी। नारायण सेवा संस्थान, कल्याण करोति और पंकज स्पाटिक सेंटर से भी उनको सम्मान पत्र मिला, उसके सिवाय कुछ और नहीं मिला। कलाकार अंकित राज ने हिम्मत नहीं हारी। उनको भगवान शिव पर पूरा विश्वास है। भोले बाबा उनकी जरुर सुनेंगे। वह कहते हैं कि मथुरा की सांसद हेमामालिनी खुद एक कलाकार हैं। उनसे एक बार मुलाकात हो जाएं तो शायद वह कलाकार का दर्द समझ सकती हैं। अंकित राज की मानें तो वह हरियाणा, राजस्थान और यूपी के कई शहरों में स्टेज कार्यक्रम दे चुके हैं।

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