
यूनिक समय, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में लोगों के घरों को बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ध्वस्त किया जाना एक गंभीर गलती है और यह समाज के लिए एक चौंकाने वाला उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह टिप्पणी तब आई जब कोर्ट में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को गिराए जाने के मामले की सुनवाई हुई।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार को ध्वस्त की गई संरचनाओं के पुनर्निर्माण का आदेश दिया जाएगा, और यह राज्य का दायित्व होगा कि वह इसका खर्च उठाए।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी उचित नोटिस के उनके घरों के ध्वस्तीकरण के बारे में बताया गया। उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने जमीन के वैध पट्टेदार थे और उन्होंने अपनी संपत्ति को फ्रीहोल्ड में बदलने के लिए आवेदन किया था। राज्य की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इन आरोपों का खंडन किया, लेकिन कोर्ट ने नोटिस भेजने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया और हाईकोर्ट में मामला ट्रांसफर करने की राज्य की मांग को खारिज कर दिया।
यह मामला इस समय एक अहम मोड़ पर है, और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को एक कड़ा संदेश दिया है कि भविष्य में इस तरह की कार्यवाहियों में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
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