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प्रधानमंत्री ने कहा ‘भारत 2030 तक अपने ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य बना रहा है। पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में यह 1.5 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है। 2025 तक यह 20 प्रतिशत हो जाएगा।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत में अगले पांच से छह वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में करीब 67 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश होगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में वैश्विक निवेशकों को भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित भी किया। पीएम मोदी ने मंगलवार को गोवा में इंडिया एनर्जी वीक (भारत ऊर्जा सप्ताह) के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और हाल ही में आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि हम इसी रफ्तार से आगे बढ़ेंगे। देश जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने वैश्विक कंपनियों को भारत के ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि ‘देश को 2030 तक अपनी रिफाइनिंग क्षमता 254 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष) से बढ़ाकर 450 एमएमटीपीए करने की उम्मीद है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘भारत ऊर्जा क्षेत्र में अभूतपूर्व निवेश कर रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ। अगले पांच-छह वर्षों में भारत में ऊर्जा क्षेत्र में 67 अरब डॉलर का निवेश होने जा रहा है।’ प्रधानमंत्री ने कहा ‘बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के बीच भारत में सभी को सस्ती ऊर्जा मुहैया करायी जा रही है। भारत ऐसा देश है, जहां कई वैश्विक घटनाओं के बावजूद बीते दो सालों से पेट्रोल और डीजल के दाम कम हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत कच्चे तेल तथा एलपीजी का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और एलएनजी का चौथा सबसे बड़ा आयातक है। भारत 2030 तक अपने ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य बना रहा है। पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में यह 1.5 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है। 2025 तक यह 20 प्रतिशत हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक उत्सर्जन में भारत का केवल चार प्रतिशत हिस्सा है और 2070 तक ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य रखा गया है। ‘नेट जीरो’ से मतलब है कि कोई देश वातावरण में कार्बन आधारित ग्रीनहाउस गैसों का कितना उत्सर्जन कर रहा है, उतना ही उसे कितना सोख और हटा भी रहा है। नेट जीरो का मतलब है कि 2070 तक भारत का वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का योगदान न के बराबर हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक करोड़ मकानों पर ‘सोलर रूफटॉप’ स्थापित करने की हाल ही में घोषित योजना से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
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