
कितनी आती है लागत
आज हर घर में बिजली से चलने वाले टीवी, एसी, फ्रिज और पंखे जैसे उपकरण होते ही हैं। इसके कारण चार से पांच सदस्यों के एक सामान्य परिवार में बिजली का बिल प्रतिमाह दो हजार रुपये के आसपास आ जाता है। इस बिल को कम करने के लिए आपको लगभग दो किलोवाट का सोलर एनर्जी सिस्टम अपने छत पर लगवाना पड़ता है।
एक किलोवाट का सिस्टम लगाने के लिए ऑन ग्रिड सिस्टम में 54,000 रुपये और ऑफ ग्रिड सिस्टम में 90,000 रुपये की लागत आती है। इस प्रकार दो किलोवाट के लिए यह लागत 1,08,000 रुपये से 1,80,000 रुपये आ सकती है। लेकिन यह सिस्टम लगाने के लिए केंद्र और राज्यों की तरफ से आर्थिक सहयोग (एक से तीन किलोवाट के लिए 21,600 रुपये) भी दिया जाता है जिससे यह लागत कम हो जाती है।
कैसे काम करता है सिस्टम
सोलर पैनल के सिस्टम तीन तरह के आते हैं- ऑन ग्रिड सिस्टम, ऑफ ग्रिड सिस्टम और हाइब्रिड सिस्टम। ऑन ग्रिड सिस्टम में सोलर पैनल का सिस्टम सीधे बिजली के कनेक्शन से जुड़ा होता है। इस सिस्टम में बैटरी नहीं होती जिससे इसे लगाने की कीमत कम आती है। (लेकिन बैटरी न होने के कारण बिजली आपूर्ति बाधित होने पर इस माध्यम से बिजली उपकरण नहीं चलाये जा सकते, इसलिए यह सिस्टम शहरी क्षेत्र में ज्यादा कारगर है जहां बिजली की लगातार सप्लाई होती रहती है।)
बिजली आपूर्ति के दौरान सिस्टम बिजली पैदा कर वापस ग्रिड को भेजता रहता है। इस तरीके से नियमानुसार आप 80 फीसदी बिजली का बिल कम कर सकते हैं। (नियमों के मुताबिक ऑन ग्रिड सिस्टम में 20 फीसदी बिजली ग्रिड से लेना अनिवार्य है) ऑन ग्रिड सिस्टम में सामान्य मीटर की जगह नेट मीटर लगाया जाता है जो उपभोक्ता के द्वारा उपयोग की गई बिजली और पैदा कर ग्रिड को भेजी गई बिजली का ब्यौरा बताता है।
अगर किसी उपभोक्ता ने 300 यूनिट बिजली का उपभोग किया और उसके सोलर पैनल ने 240 यूनिट बिजली ग्रिड को भेजा तो उसके बिल में सिर्फ शेष 60 यूनिट बिजली का ही बिल (फिक्स चार्ज अतिरिक्त) आता है। उज्जल विकास कम्पनी के सोलर सिस्टम विशेषज्ञ निर्मल श्रीवास्तव ने अमर उजाला को बताया कि बिजली बिल में बचत के द्वारा चार से पांच साल के भीतर सिस्टम लगाने की पूरी कीमत निकल जाती है। इसके बाद हर महीने की आय लगाई गई रकम का 18 से 20 फीसदी होती है जो किसी भी अन्य बचत के तरीकों से ज्यादा अच्छा होता है।
निर्मल श्रीवास्तव के मुताबिक ऑफ ग्रिड सिस्टम में सोलर पैनल से बनी विद्युत ऊर्जा को घर के अंदर रखी बैटरियों में सहेज लिया जाता है। इसे तुरंत और बाद में बिजली उपकरणों को चलाने में उपयोग किया जा सकता है। इससे आपके घर के बिजली के बिल को शून्य किया जा सकता है जो प्रत्यक्ष तरीके से आपकी बचत करती है, लेकिन इस तरह की एकत्र बिजली को बिजली कम्पनियों को बेचकर पैसा नहीं कमाया जा सकता। बैटरी लाइफ पांच साल के लगभग होती है। उसके बाद बैटरी को बदलने की जरूरत पड़ती है। हाइब्रिड सिस्टम में ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड दोनों की विशेषताएं शामिल होती हैं।
Leave a Reply