शिवसेना के अरमानों पर ये राज्यपाल फेर न दें पानी , जानिए वजह

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच रस्साकशी जारी है। जिस तरह से शिवसेना बीजेपी पर लगातार वार कर रही है उससे साफ है कि व समझौते के मूड में नहीं है। शिवसेना का एकमात्र उद्देश्य है आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाना। जाहिर है यह बाला साहेब ठाकरे परिवार की प्रतिष्ठा का मामला है। जो परिवार अब तक महाराष्ट्र की राजनीति में किंगमेकर की भूमिका में थी, भला वह अब उप मुख्यमंत्री और मंत्री पद से कैसे संतोष करेगी।

रविवार से महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर बदल गई है। जिस तरह से बीजेपी और शिवसेना एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए है उससे लग रहा है कि ये दोनों पार्टियां दूसरे विकल्प की तलाश में लगी हुई हैं। तभी तो एक ओर शिवसेना सरकार बनाने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी।

हालांकि बीजेपी ने अपना पत्ता नहीं खोला है कि वह किसके सहारे सरकार बनायेगी, लेकिन शिवसेना ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। अब सवाल उठता है कि यदि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की मदद से बहुमत जुटा लेती है तो क्या राज्यपाल उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे?

शिवसेना के हौसले बुलंद है। राज्यसभा सांसद संजय रावत लगातार दावा कर रहे हैं कि सरकार बनाने के लिए उनके पास बहुमत हैं। शायद उनके बयान का असर है कि शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे के समर्थन में पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं।

आदित्य ठाकरे की तस्वीर वाला एक पोस्टर, जिस पर ‘माई एमएलए माई चीफ मिनिस्टर’ यानि ‘मेरा विधायक मेरा मुख्यमंत्री’ लिखा हुआ है, मुंबई में मातोश्री (ठाकरे निवास) के बाहर लगा हुआ है। पोस्टर को कथित तौर पर शिवसेना के नगरसेवक हाजी हलीम खान ने लगाया है।

इस पोस्टर के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए यह पोस्टर लगाया गया है। चूंकि शिवसेना बार-बार कह रही है कि वह सरकार बनाने जा रही है तो पोस्टर के माध्यम से उसका बीजेपी को सांकेतिक जवाब है।

क्या राज्यपाल देंगे मौका

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी के पास है। नियमत: राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। जाहिर है बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है तो सरकार बनाने के लिए राज्यपाल उसे ही बुलायेंगे। ऐसी चर्चा भी है कि अगर सियासी गुत्थी न सुलझी तो बीजेपी 2014 की तरह सूबे में अल्पमत सरकार बना सकती है। इस दशा में शिवसेना के सामने क्या विकल्प होगा?

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