यह धरना स्थल नहीं मिनी पंजाब है, जहां जिंदगी जीने के लिए सबकुछ है, कहीं तेल मालिश तो कहीं कबड्डी का मैच!

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की सरकार से आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पंजाब स्थित नानकसर सिख संप्रदाय के प्रमुखों में से एक धार्मिक नेता बाबा लाखा सिंह से मुलाकात की। बाबा लाखा सिंह चाहते थे कि वे किसान और सरकार के बीच मध्यस्थता करें, लेकिन किसान इसपर राजी नहीं हुए। इस बीच हम सिंघु बॉर्डर की कुछ तस्वीर दिखाते हैं, जिसमें दिख रहा है कि कहीं किसान मालिश करवा रहे हैं तो कहीं धरना स्थल पर कबड्डी का मैच हो रहा है।

ष्सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान जलेबी तैयार करते हुए किसान। यह तस्वीर बताती है कि किसान प्रदर्शन के दौरान खाने पीने की पूरी व्यवस्था करके आए हैं। ऐसे में सरकार के लिए काफी मुश्किल हो सकती है।

सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान जलेबी तैयार करते हुए किसान। यह तस्वीर बताती है कि किसान प्रदर्शन के दौरान खाने पीने की पूरी व्यवस्था करके आए हैं। ऐसे में सरकार के लिए काफी मुश्किल हो सकती है।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल किसान आस-पास के गांव के बच्चों को पढ़ाते हुए। समय मिलने पर बीच-बीच में ये किसान बच्चों को पढ़ाने के लिए चले जाते हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल किसान आस-पास के गांव के बच्चों को पढ़ाते हुए। समय मिलने पर बीच-बीच में ये किसान बच्चों को पढ़ाने के लिए चले जाते हैं।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने पूरा इंतजाम किया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान एक किसान अपने सहयोगी की मालिश करता हुआ

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने पूरा इंतजाम किया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान एक किसान अपने सहयोगी की मालिश करता हुआ।

सिंघू बॉर्डर पर एक सामुदायिक रसोई में तैयार की जा रही रोटियां। दिल्ली-हरियाणा राज्य सीमा पर नए खेत कानूनों के विरोध में डेरा डाले हुए किसान

सिंघू बॉर्डर पर एक सामुदायिक रसोई में तैयार की जा रही रोटियां। दिल्ली-हरियाणा राज्य सीमा पर नए खेत कानूनों के विरोध में डेरा डाले हुए किसान।

किसानों और सरकार के बीच हो रही है लेकिन हर बार बातचीत फेल हो जाती है। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए

नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान सिंघू सीमा पर बारिश के दिन सामुदायिक रसोई में तैयार किया जा रहा भोजन। यहां पर लंगर के जरिए भी किसानों को खाना पहुंचाया जाता है।

किसानों और सरकार के बीच हो रही है लेकिन हर बार बातचीत फेल हो जाती है। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।

किसानों और सरकार के बीच हो रही है लेकिन हर बार बातचीत फेल हो जाती है। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान सिंघू सीमा पर बारिश के दिन सामुदायिक रसोई में तैयार किया जा रहा भोजन। यहां पर लंगर के जरिए भी किसानों को खाना पहुंचाया जाता है।

विरोध प्रदर्शन के दौरान सिंघू सीमा पर बारिश के दौरान कबड्डी मैच का भी आयोजन किया गया। दरअसल, किसानों के साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी आए हुए हैं। ऐसे में मनोरंजन के लिए समय समय पर धरना स्थल पर ही ऐसे खेल आयोजित करते रहते हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान सिंघू सीमा पर बारिश के दौरान कबड्डी मैच का भी आयोजन किया गया। दरअसल, किसानों के साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी आए हुए हैं। ऐसे में मनोरंजन के लिए समय समय पर धरना स्थल पर ही ऐसे खेल आयोजित करते रहते हैं।

किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। हालांकि सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला।

मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। हालांकि सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला

सिंघु बॉर्डर पर कई ऐसे भी किसान दिखे जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं, लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं।

ष्दिल्ली में लगातार चार दिनों तक बारिश हुई। इसके बाद भी किसान धरना स्थल से हटे नहीं। वहीं पर प्लास्टिक के टेंट में डेरा डालकर कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।दिल्ली में लगातार चार दिनों तक बारिश हुई। इसके बाद भी किसान धरना स्थल से हटे नहीं। वहीं पर प्लास्टिक के टेंट में डेरा डालकर कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

(दिल्ली-हरियाणा सीमा) में विरोध प्रदर्शन के दौरान बारिश हुई। तब किसानों ने प्लास्टिक ओढ़कर खुद का बचाव किया।

सिंघू (दिल्ली-हरियाणा सीमा) बॉर्डर पर किसान टेंट बनाकर रह रहे हैं। बारिश और उत्तर भारत में चल रही शीत लहर के बावजूद किसान मजबूती से टिके हैं।

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