बहुचर्चित बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड में तीन को फांसी

crime

कोर्ट से…

-महिला अभियुक्त को उम्रकैद, 75-75 हजार का अर्थदंड
– जिला जज की अदालत ने सुनाया फैसाला, एक बरी

न्यूमेरिक…

16 जून-2012 को चौक थाने में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
13 गवाहों को अभियोजन की ओर से किया गया पेश
10 साल इंतजार के बाद आया हत्याकांड का फैसला

दस वर्ष पुराने बहुचर्चित बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड में शुक्रवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। इनमें अमजद, रामजान और अरशद शामिल है। वहीं, महिला अभियुक्त शकीला को उम्रकैद की सजा दी। चारों पर 75-75 हजार रुपये अर्थदंड लगाया। जिसकी आधी राशि पीड़त पक्ष को दी जाएगी। जुर्माना न जमा करने पर तीन माह की अतरिक्त सजा भुगतनी होगी। अदालत में अभियोजन की ओर से डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला और वादी के अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह व मोहम्मद फौजुद्दीन खान ने पक्ष रखा।
एक अक्तूबर को कोर्ट ने चारों को दोषी करार दिया था। जबकि अभियुक्त इकबाल राइन को दोष सिद्ध न होने पर अदालत ने बरी कर दिया था। सजा सुनाने के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत की थी। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस तैनात थी।
अभियोजन के अनुसार चेतगंज के सरायगोवर्धन निवासी सईद उर्फ काजू ने वर्ष-2012 में 16 जून को चौक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक 16 जून की रात साढ़े आठ बजे वह भाई मो. शफीक उर्फ राजू, मो. शकील उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी और शालू के साथ बेनियाबाग स्थित बाबा रहीम शाह की मजार से घर जा रहे थे। इस दौरान अमजद, इकबाल राइन, अरशद, रमजान व अमजद की पत्नी शकीला ने कब्रिस्तान के समीप उन्हें घेर लिया। बांस के डंडों से बेरहमी से पीटने लगे। शोर सुनकर मजार की सफाई करने वाले कामिल भाई और भतीजा सैफू बीचबचाव करने पहुंचे तो उनपर भी हमला कर दिया। पिटाई से मौके पर ही शफीक उर्फ राजू व कामिल की मौत हो गई। बाकी घायलों को वादी व मोहल्ले के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां शकील उर्फ जाऊ की मौत हो गई। वहीं, घटना में गंभीर रूप से घायल भतीजे चांद रहीम की कुछ दिनों बाद उपचार के दौरान मौत हो गई थी। अदालत में अभियोजन की ओर से 13 गवाह पेश किए गए।

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