बजट में मिलेगा यह तोहफा, देश के हर गरीब के खाते में आएगी इतनी रकम

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बेहद नजदीक होने के कारण यूबीआई जैसी लोकलुभावन घोषणा की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी, लेकिन अब राहुल के एलान के बाद ये लगभग तय हो गया है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में इसका ऐलान हो सकता है।
शायद केंद्र सरकार जो अभी सोच ही रही थी, राहुल गांधी ने उसका ऐलान कर दिया और बाजी मार ली। हर गरीब को पैसा, हर जरूरतमंद को न्यूनतम आमदनी। छत्तीसगढ़ की जमीन से गारंटी की बात करके राहुल गांधी ने सीधे देश के करीब 30 से 35 करोड़ लोगों को अपने पाले में करने की कोशिश की है। छत्तीसगढ़ की ही जमीन से राहुल गांधी ने किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया था। नतीजा, रमन सिंह सरकार का सूपड़ा साफ हो गया। ठीक वैसे ही कांग्रेस को भरोसा है कि न्यूनतम आय की गारंटी देकर छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश के किसानों-मजदूरों का दिल जीता जा सकता है।
खबर है कि राहुल एंड कंपनी को ये भनक लग चुकी थी कि मोदी सरकार अपने आखिरी बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी लुभावनी स्कीम की घोषणा करने वाली है, इसीलिए राहुल गांधी ने पहले ही मिनिमम गारंटी इनकम का ऐलान कर दिया। अब ये माना जा रहा है कि 1 फरवरी के बजट में इसका ऐलान होना लगभग तय है।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम है क्या पहले ये समझिए…
यूनिवर्सल बेसिक इनकम यानी UBI स्कीम के तहत सरकार देश के हर नागरिक को बिना शर्त एक तयशुदा रकम देगी
कुछ खास तबकों जैसे गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों को अगर ये सुविधा दी जाती है तो इसे ‘पार्शल बेसिक इनकम’ कहते हैं
पूर्व वित्तीय सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने साल 2016-17 के आर्थिक सर्वे में इस योजाना को लागू करने की सिफारिश की थी
यूपीए के शासन के दौरान भी प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने सरकार को यह स्कीम लागू करने का सुझाव दिया था
बीजेपी ने राजस्थान के चुनावी घोषणापत्र में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) का वादा किया था
मोदी सरकार पिछले 3 सालों से यूनिवर्सल बेसिक इनकम की संभावना तलाश रही है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश की एक पंचायत में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर ऐसी स्कीम को लागू किया था, जिसके बेहद सकारात्मक नतीजे आए थे। इंदौर के 8 गांवों की 6,000 की आबादी के बीच 2010 से 2016 तक इस स्कीम का प्रयोग हुआ था। इसमें पुरुषों और महिलाओं को 500 रुपए दिए गए। बच्चों को हर महीने 150 रुपये दिए गए। इन 5 सालों में इनमें अधिकतर ने इस स्कीम का लाभ मिलने के बाद अपनी आय बढ़ा ली। अब सरकार अगर इस बजट में UBI स्कीम की घोषणा कर देती है तो ये जरूर कहा जाएगा कि कांग्रेस के दबाव की वजह से सरकार ने ये ऐलान किया है।
2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर 40 से ज्यादा पेजों का एक खाका तैयार किया गया था। सर्वे में अनुमान जताया गया था कि देश के एक-एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने वाली कोई योजना अपने मकसद में सफल नहीं हो रही है। इसलिए आर्थिक सर्वे में कुछ उपाय सुझाए गए थे।

  • ऐसे खत्म होगी गरीबी ?
  • आर्थिक दृष्टि से निचले पायदान की 75 प्रतिशत आबादी को UBI के दायरे में लाया जाए
  • सिर्फ महिलाओं को इसके दायरे में लाया जाए क्योंकि महिलाओं को कई मोर्चों पर पिछड़ेपन का सामना करना पड़ता है
  • महिलाओं के हाथ में पैसे गए तो उनके दुरुपयोग की आशंका भी नहीं के बराबर रहेगी
  • शुरुआत में यूबीआई स्कीम का लाभ विधवाओं, गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ वृद्ध एवं बीमार आबादी को दिया जा जाए

कैसे लागू होगी UBI स्कीम ?

  • इसी शीतकालीन सत्र में सरकार ने 85 हज़ार करोड़ रुपये की supplementary demand for Grant पेश की। आसान शब्दों में कहें तो सरकार ने मौजूदा वर्ष में खर्च पूरे करने के लिए अतिरिक्त 85 हज़ार करोड़ रुपये मांगे थे।
  • एक और रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.4 प्रतिशत अधिक रहने की आशंका है। यानी अब सरकार को जो करना है अपनी जेब देखकर करना है। गडकरी ने हाल ही में बयान दिया था कि अगर वादा पूरा नहीं किया तो जनता पीटती भी है।
  • अब आपको बताते हैं कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी स्कीम किन-किन देशों में चलती है…
  • ईरान पहला देश है, जिसने साल 2010 में नैशनल बेसिक इनकम शुरू की। यहां सब्सिडी के बदले नेशनल बेसिक इनकम दी जाती है।
    एलास्का में गरीबों को बेसिक इनकम दी जाती है। तेल से होने वाली कमाई से पैसा जुटाया जाता है। तेल की कीमत कम-ज्यादा होने से बांटी जाने वाली रकम भी कम ज्यादा होती रहती है।
  • कैलिफॉर्निया के शहर में फिलहाल प्रयोग के तौर पर 100 लोगों को 500 डॉलर यानी करीब 35 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
    फिनलैंड में 2017 में स्कीम शुरू हुई थी, लेकिन फिलहाल बंद कर दिया गया। स्कीम के तहत 2000 बेरोजगारों को 650 यूरो यानी करीब 53 हजार रुपए हर महीने दिए गए।
  • फ़्रांस में सरकार बेरोज़गारों को सालाना 7,000 यूरो देती है यानी करीब साढ़े पांच लाख रुपए। हर महीने 45 हजार रुपए।
    जर्मनी में बेरोजगारों को हर महीने मिलते हैं करीब 30 हजार रुपए।
  • इटली में तो बेरोज़गारों को हर महीने मिलते हैं 1,180 यूरो यानी क़रीब 90,000 रुपये।

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