उद्धव बने शेर: सीएम बनते ही किये ये ताबड़तोड़ फैसले, जारी किए आदेश

मुंडे की यह मांग महाराष्ट्र सरकार की तरफ से नानर परियोजना और आरे जंगल मामले में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने के निर्णय के बाद सामने आई है। मंगलवार को राज्य सरकार ने नानार परियोजना और आरे जंगल में आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए समिति भी गठित कर दी।

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक के बाद एक फैसले लेते हुए अपनी मंसा को साफ़ जाहिर कर दिया है। जिससे महाराष्ट्र के लोगों की उम्मीदें बाद गयीं हैं। बता दें कि वरिष्ठ राकांपा नेता और विधायक धनंजय मुंडे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर पुणे में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग की है।

दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए समिति भी गठित की गयी

मुंडे की यह मांग महाराष्ट्र सरकार की तरफ से नानर परियोजना और आरे जंगल मामले में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने के निर्णय के बाद सामने आई है। मंगलवार को राज्य सरकार ने नानार परियोजना और आरे जंगल में आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए समिति भी गठित कर दी।

हालांकि, इस मामले में मंत्री जयंत पाटिल ने कहा है कि हम सभी मामलों को वापस नहीं कर रहे हैं। हम केवल गैर संज्ञेय अपराधों के बारे में बात कर रहे हैं, जो आम लोगों पर दर्ज हुए हैं।

पुणे के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी। यह हिंसा 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद की तरफ से आयोजित किए गए कार्यक्रम के बाद भड़की थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। कई घायल हुए थे। सरकारी संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ था।

विधायक जितेंद्र अव्हाड़ ने भी गिरफ्तार आरोपियों को रिहा करने की मांग की थी

पत्र में मुंडे ने दावा किया कि सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ फडणवीस सरकार ने “झूठे” केस दर्ज किए। जिसने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई, उन्हें शहरी नक्सली बताया गया। मुंडे से पहले राकांपा के एक और विधायक जितेंद्र अव्हाड़ ने भी मुख्यमंत्री से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार आरोपियों को रिहा करने की मांग की थी।

उद्धव ठाकरे ने कहा-पूर्व सरकार ने जारी किए आदेश

बताया जा रहा है कि इस मामले में उद्धव ठाकरे ने कहा कि पूर्व की सरकार ने पहले से ही भीमा कोरेगांव हिंसा में जिन लोगों के खिलाफ गैर-गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे, उन्हें वापस लेने का आदेश जारी किया था। मैं यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि वास्तव में कितने केस वापस लिए गए।

शहरी नक्सली बताकर हुई थी इनकी गिरफ्तारी

महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। जांच में उन्‍हें ‘अर्बन नक्सली’ बताया था। इनमें वेरनॉन गोंसाल्विज, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव और गौतम नवलखा शामिल थे। इस मामले में जांच आगे बढ़ी और 5 अन्य लोग जिनमें शोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन और सुधीर धवले शामिल को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था।

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