नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का 9 मार्च को 14वां दिन है। इस भीषण लड़ाई में कई परिवार पूरी तरह खत्म हो गए। उनकी लाशें तक उठाने वाला कोई नहीं मिला। यूक्रेन से जान बचाकर भाग रहे लोग परिवार सहित रास्ते में ही मारे जा रहे हैं। ये तस्वीर भी मां और उसके दोनों बच्चों की है, जो मौत को चकमा नहीं दे सके।
यह तस्वीर यूक्रेन के इरपिन की रहने वालीं तात्याना पेरेबेनोस उनके 18 साल के बेटे निकिटा और 9 साल की बेटी एलिस की है। जब रूसी सेना ने संघर्ष विराम के बावजूद इरपिक पर हमला किया, तो ये तीनों वहां से भाग रहे थे। लेकिन रास्ते में ही गोलीबारी का शिकार हो गए। उनकी लाशें सड़क पर पड़ी रहीं।
तात्याना एक हाईलेवल अकाउंटेंट कर्मचारी थीं। युद्ध से पहले वे कुछ दिनों के लिए जार्जिया के पहाड़ों पर छुट्टियां मनाने गई थीं। जब लौटीं, तो देश का माहौल ही बदल चुका था। तात्या 4 साल पहले डोनेट्स्क(Donetsk) शहर में रहती थीं। वहां अलगाववादी ताकतों की हिंसा के डर से यह परिवार यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहरी हिस्से में जाकर बस गया था। यहां तात्याना हमेशा के लिए बसने की योजना बना रही थीं। लेकिन नीयती को कुछ और ही मंजूर था।
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि रूस के आक्रमण के बाद से अब तक 20 लाख शरणार्थी यूक्रेन से भाग गए हैं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि आधे से अधिक पोलैंड में सीमा पार कर चुके हैं। लगभग 100,000 रूस और 450 बेलारूस पहुंचे हैं। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने कहा कि सप्ताहांत में यह संकट द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप का सबसे तेजी से बढ़ता शरणार्थी संकट था।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का 9 मार्च को 14वां दिन है। 24 फरवरी, 2022 इतिहास में एक विध्वंसक निर्णय के लिए जाना जाएगा। इसी दिन भारतीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था। इसके बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर हवाई हमले शुरू कर दिए। इन हमलों बाद यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा खार्किव, मारियुपोल और ओडेसा में बर्बादी के मंजर दिखाई देने लगे हैं।
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