उन्नाव कांड़: गैंग रेप पीडिता को इंसाफ, सामने आया एक और नया मौड़, देखिए वीडियो

18 साल पहले ​शुरू हुई थी उन्नव कांड़ की कहानी और आलम तो ये रहा कि इस मुकदमे की सुनवाई के लिए कोई जज ही नहीं मिला. ये न होता अगर साल भर पहले ही सरकार और प्रशासन जाग जाता. लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस केस का फैसला 45 दिनों के भीतर करना होगा.

यह एक ऐसी वारदात है जिसमें मुलजिम सत्ताधारी पार्टी का ताकतवर विधायक है. लोकल पुलिस जिसने कभी पीड़ित लड़की की फरियाद ही नहीं सुनी. इस मामले में कोर्ट को दखल देना पड़ा तब जाकर कहीं FIR दर्ज हुई. आज से ठीक एक साल पहले जुलाई 2018 में CBI चार्जशीट दाखिल करती है. साल बीत गया लेकिन मुकदमे की एक भी सुनवाई शुरू नहीं हुई.

आलम तो ये रहा कि इस मुकदमे की सुनवाई के लिए कोई जज ही नहीं मिला. ये न होता अगर साल भर पहले ही सरकार और प्रशाशन जाग जाता. लेकिन अब उच्च न्यायालय ने कहा कि इस केस का फैसला 45 दिनों के भीतर करना होगा.

अब होगा इंसाफ

अब उन्नाव की गैंग रेप पीड़िता का हिसाब भी होगा. उसके पिता को जेल में ठूंसने की वजह भी पूछी जाएगी. उसे हिरासत में मार डालने पर सवाल भी होगा. रायबरेली रोड पर हुए एक्सीडेंट की जांच भी होगी. पीड़िता के अपहरण पर भी दलील होगी. यानी करीब दो साल पुराने इस केस की एक-एक कलई अब खुलेगी.

यूपी में बीजेपी विधायक के खौफ और सरकार की लापरवाही की वजह से इंसाफ की लौ जो बुझने के करीब थी. उसे सुप्रीम कोर्ट ने फिर से रौशन कर दिया है. लिहाज़ा उन्नाव गैंग रेप मामले में जो फाइलें दबी पड़ी थीं. जो राज़ छुपे हुए थे. उन्हें एक एक करके अब सुप्रीम कोर्ट के सामने खोला जाएगा. क्योंकि अब इस मामले में रेप पीड़िता और उसके परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ये केस अपने हाथ में ले लिया है.

यूपी के उन्नाव रेप और एक्सीडेंट से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई अहम फैसले लिए हैं. इनकों एक एक करके समझना ज़रुरी है. पहला फैसला तो ये कि उन्नाव रेप कांड से जुड़े सभी पांच केस दिल्ली ट्रांसफर किए जाएंगें. उन्नाव रेप के मुख्य केस की सुनवाई 45 दिन के अंदर पूरी होगी. रेप पीड़ित के परिवार के साथ हुए सड़क हादसे की जांच 7 दिन में पूरी होगी.

सबसे बड़ी अदालत ने रेप पीड़ित और उसके पूरे परिवार, उनके वकील को तत्काल CRPF की सुरक्षा देने का आदेश दिया है. यूपी सरकार से पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने के लिए कहा है. सड़क हादसे में घायल वकील के परिवार के लिए 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का फरमान सुनाया है. कोर्ट ने लखनऊ के अस्पताल में भर्ती रेप पीड़ित और उसके वकील की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक डॉक्टरों और परिवार की राय जानने के बाद रेप पीड़ित और उसके वकील को दिल्ली के एम्स में लाने का आदेश दिया जाएगा. रायबरेली जेल में बंद रेप पीड़िता के चाचा को दिल्ली की जेल में ट्रांसफर करने पर भी सुनवाई होगी.

बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर ने अपनी ताकत के दम पर खुद को बचाने की कोशिश तो बहुत की, शायद राहत मिल भी जाती. मगर रायबरेली रोड पर हुए पीड़िता और उसके परिवार के एक्सीडेंट ने विधायक जी को चारों तरफ से जकड़ लिया है. और अब उनके किए का ना सिर्फ हिसाब होगा बल्कि बहुत जल्द हिसाब होगा. समझिए विधायक जी का गेमओवर हो चुका है. और बहुत मुमकिन है कि इस अपराधी को भी यूपी की जेल से किसी और जेल में शिफ्ट कर दिया जाए.

कुलदीप सेंगर की नकेल कसा जाना तो तय है, मगर अपने विधायक को बचाने के चक्कर में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपनी ज़बरदस्त किरकिरी करा ली. जिसने सीबीआई जांच के नाम पर दो साल निकाल दिए. और केस की सुनवाई तक नहीं शुरू हो पाई थी. यूपी सरकार और पुलिस-प्रशासन ने इस मामले में ज़रा भी गंभीरता दिखाई होती. तो ना पीड़िता का पिता जेल में बेमौत मारा जाता. ना उसके रिश्तेदार एक्सीडेंट की भेंट चढ़ते और ना ही वो खुद अस्पताल में ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रही होती.

देश में ये क्या हो रहा है? कुछ भी कानून के हिसाब से नहीं हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ज़ुबान से निकली ये दो लाइनें यूपी के सुशासन को बयान कर रही हैं. जिसे उन्नाव गैंग रेप के इस मामले ने सरेबाज़ार ज़लील कर दिया है.

आपको बता दें कि उन्नाव रेप कांड की पीड़िता ने एक्सीडेंट से 16 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी. जिसमें उसने अपने परिवार वालों की जान को खतरा बताया था. चिट्ठी वक्त से चीफ जस्टिस के पास पहुंची ही नहीं. लेकिन जब पीड़िता का दर्द उन तक पहुंचा तो फौरन एक्शन लिया गया. 24 घंटे के अंदर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की धज्जियां उड़ा देने वाला ऐतिहासिक आदेश देकर उन्नाव की बेटी के इंसाफ की आस जगा दी है.

आपको बता दें कि गुरुवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ,जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने शुरू की. इस मामले में सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले हुए गैंग रेप से लेकर 28 जुलाई को रायबरेली रोड पर हुए एक्सीडेंट तक के एक एक पहलू की बारीकी से जांच का आदेश दिया है.

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