नई दिल्ली। दुनियाभर में कई तरह की अजीबोगरीब परंपराएं हैं लेकिन डेनमार्क में एक जगह ऐसी है जहां दिल दहला देने वाली एक परंपरा की वजह से वहां मौजूद समुद्र का पानी खून से लाल हो जाता है।
दरअसल, डेनमार्क के फेरो आइलैंड में हर साल पायलट व्हेल के शिकार का आयोजन किया जाता है। आपको बता दें कि इस प्रथा को ग्राइंड्रैप और ‘द ग्राइंड’ भी कहा जाता है। आपको बता दें कि इस परंपरा के अनुसार व्हेल का शिकार कर, उसे पकड़कर उस पर हुक, चाकू या भाले से वार किया जाता है।
मुफ्त में बांटा जाता है मांस
जानकारी के मुताबिक व्हेल्स का शिकार करने के बाद स्थानीय लोग उन व्हेल्स के मांस को भून कर, उबाल कर या सुखा कर खाते हैं। साथ उनके मांस को मुफ्त में बांटा भी जाता है। जानकारी के मुताबिक वहां वेल्स के शिकार को कानूनी मान्यता भी मिली हुई है।
परंपरा के खिलाफ सालों से उठाई जा रही है आवाज
आपको बता दें कि संरक्षणवादी लगातार इस परंपरा के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे हैं। जिससे स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। द्वीप पर रहने वाले लोगों का कहना है कि आसपास जंगल न होने की वजह से उन्हें खाने के लिए समुद्र पर ही निर्भर रहना पड़ता है। वहीं संरक्षणवादियों का अलग मत है। उनका कहना है कि यह परंपरा बहुत बर्बर और अरक्षणीय है।
साल 2021 में 175 व्हेल्स को मारा गया
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अभी तक 175 व्हेल्स को मार दिया गया है। जानकारी के मुताबिक सी शेफर्ड नाम के समुद्री संरक्षणवादियों ने जब इस दिल दहलाने वाले मंजर की तस्वीरों को अपने ड्रोन कैमरा के जरिए कैद करना चाहा, तब एक हंटर ने ड्रोन पर बंदूक चला दी थी। सी शेफर्ड के मुताबिक इस खूनी प्रथा ने पिछले एक दशक में 6,500 से अधिक व्हेल्स और डॉल्फिन्स की जान ली है।
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