अनदेखी: सरकारी स्कूल में गायों और भैंसों के साथ पढ़ रहे बच्चे

पूर्व माध्यमिक विद्यालय अजनौंठी में पेड़ के नीचे गायों के साथ पढ़ाई करते बच्चे।

छाता क्षेत्र के ग्राम अजनौंठी स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय का है हाल
यूनिक समय/ मथुरा। गाय और भैंसों के साथ छात्र-छात्रा पढ़ रहे हों तो चौंकने वाली बात होगी। चौंंकिंए नहीं बल्कि यह बात बिल्कुल सत्य है। विश्वास नहीं हो रहा है कि छाता क्षेत्र के ग्राम अजनौंठी में जाकर देख लीजिए। यह ग्राम गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण सिंह के छाता विधानसभा क्षेत्र में आता है। उनके क्षेत्र के गांव अजनौठी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बच्चे गायों और भैसों के साथ शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हो रहे हैं।
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि करीब 15 दिन हो गये हैं। इसी तरह से हम पढ़़ रहे हैं। उनका कहना है कि जिस स्कूल में वे पढ़ते हैं, उस स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। गाय और बछड़े और नीम का पेड़ अब हमारे स्कूल का एक हिस्सा है। मजबूरी में हम लोग यहां पढ़ रहे हैं। क्योंकि उनके माता पिता के पास निजी स्कूलों में पढ़ाने के लिए पैसा नहीं है।

17 वर्ष बाद भी नहीं हुई स्कूल भवन की मरम्मत
मथुरा। पूर्व माध्यमिक विद्यालय अजनोंठी के प्रधानाध्यापक योगेंद्र पाल सिंह ने बताया कि नामांकित स्कूल में 37 बच्चे हैं। 2005 में स्कूल का निर्माण हुआ था। तब से लेकर आज तक यहां का कोई मेंटेनेंस बिल्डिंग के ऊपर से नहीं कराया गया है। उन्होंने बताया कि 25 जून को हमने रामदत्त पंडित के यहां बच्चों को लाकर शिफ्ट कर दिया। नीम के पेड़ के नीचे बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। प्रधानाध्यापक का यह भी कहना है कि अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बाद भी कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। नीम के पेड़ के नीचे 6, 7, 8 कक्षाएं चलती है। बच्चों को पढ़ाने में बड़ा मुश्किल हो रही है।

बच्चे ऐसे पढ़ेंगे तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया
मथुरा। यह चिंता का विषय है कि नीम के पेड़ के नीचे बैठ पढ़ रहे बच्चे उस देश का भविष्य हैं। जिस देश की नींव इनके कंधों पर रखी हुई है। यहां के बच्चे ऐसे पढ़ेंगे तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया। यहां न तो जनप्रतिनिधि सुनते हैं और न ही बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी। सभी को अपनी ही पड़ी है। सरकारी स्कूलों की खस्ता व्यवस्था पर किसी की नजर नहीं जा रही। जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारी और नेताओं की उदासीनता के चलते बच्चे भेंट चढ़े हुए हैं।

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