वाजपेयी के बारे में सही साबित हुई महाकवि नीरज की भविष्‍यवाणी

नई दिल्‍ली। महाकवि गोपाल दास ‘नीरज’ और अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की थी. उस दौरान ही उनका परिचय हुआ और मिलना-जुलना रहा था. नीरज महाकवि होने के साथ ज्‍योतिष शास्‍त्र में भी पारंगत माने जाते थे. इस कारण महाकवि ने आकलन करते हुए कहा था कि उन दोनों ही लोगों की कुंडली काफी हद तक एक जैसी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी कारण 2009 में नीरज ने भविष्‍यवाणी करते हुए कहा कि उनकी और वाजपेयी के निधन में एक महीने से ज्‍यादा का अंतर नहीं होगा. वास्‍तव में उनका आकलन सही साबित हुआ. नीरज का 19 जुलाई को निधन हुआ और उसके 29 दिन बाद अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हुआ.
महाकवि नीरज ने कुंडलियों के आकलन के आधार पर कहा भी था कि उन दोनों ही लोगों को अपने-अपने क्षेत्र में शीर्ष पर जाना था. नीरज ने साहित्‍य और कला के क्षेत्र में ख्‍याति हासिल की और उनके गीत दुनियाभर में मशहूर हुए. वहीं अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के शिखर पुरुष बने. सिर्फ इतना ही नहीं 2009 के एक इंटरव्‍यू में नीरज ने यह भी कहा कि जीवन के अंतिम पड़ाव में हम दोनों को ही गंभीर रोगों से जूझना पड़ेगा. उनकी ये बात भी सही साबित हुई.
नीरज को उनके गीतों के लिए भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ और ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया था. उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी अनेक गीत लिखे और उनके लिखे गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं. हिंदी मंचों के प्रसिद्ध कवि नीरज को उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया था.
‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’ जैसे मशहूर गीत लिखने वाले नीरज को तीन बार ‘फिल्म फेयर’ पुरस्कार भी मिला था. ‘पहचान’ फिल्म के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और ‘मेरा नाम जोकर’ के ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया. गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था.

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