नई दिल्ली। आज विजय दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन (16 दिसंबर) को पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके साथ ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम का एक नया देश अस्तित्व में आया था। विजय दिवस 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद में मनाया जाता है। जम्मू में विजय दिवस के अवसर पर सेना ने 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया।
On Vijay Diwas, I pay homage to all those brave armed forces personnel who ensured India attained an exceptional win in the 1971 war. Our nation will always be indebted to the armed forces for their role in keeping the country safe and secure.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय दिवस के अवसर पर सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम ने कहा कि जवानों ने देश को सुरक्षित रखने में भूमिका निभाई है। इसके लिए राष्ट्र हमेशा उनका कर्जदार रहेगा। पीएम ने ट्वीट किया, “विजय दिवस पर मैं सशस्त्र बलों के उन सभी बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने 1971 के युद्ध में भारत को एक असाधारण जीत सुनिश्चित की थी। देश को सुरक्षित रखने में उनकी भूमिका के लिए हमारा राष्ट्र हमेशा सशस्त्र बलों का ऋणी रहेगा।”
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के 93 हजार जवानों ने भारत की सेना के सामने हथियार डाले थे। सेकंड वर्ल्ड वार के बाद सैनिकों के आत्मसमर्पण की यह सबसे बड़ी संख्या है। पूर्वी पाकिस्तान के मुख्य मार्शल लॉ प्रशासक और पूर्वी पाकिस्तान स्थित पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने समर्पण के दस्तावेज पर साइन किए थे। 1972 के शिमला समझौते के तहत उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दिया गया था। पाकिस्तान की लगभग एक तिहाई सेना पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया था। यह युद्ध 13 दिन तक चला था।
पूर्वी पाकिस्तान ने 26 मार्च 1971 को आधिकारिक तौर पर अलगाव की घोषणा की थी। तब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान के इस स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन पाकिस्तानी सेना ने बंगालियों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार किया था। इससे लगभग 10 मिलियन लोग भारत आने के लिए मजबूर हो गए थे। भारत ने बंगाल से आए शरणार्थियों के लिए भी अपनी सीमाएं खोल दी थीं।
4-5 दिसंबर की रात को भारतीय नौसेना ने ट्राइडेंट कोडनेम के साथ कराची बंदरगाह पर हमला किया। पाकिस्तान ने पश्चिमी मोर्चे पर अपने सैनिकों को तैनात किया था। भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कई हजार किलोमीटर के पाकिस्तानी क्षेत्र को सफलतापूर्वक अपने कब्जे में ले लिया। पाकिस्तान के 8000 सैनिक मारे गए थे और 25000 घायल हुए थे। भारत ने 3000 सैनिक गंवाए और 12000 घायल हुए।
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