नई दिल्ली। ट्रंप के सत्ता से जाने में केवल दो दिन ही बाकी हैं, लेकिन इस बीच लगातार कोई न कोई विवाद सामने आ रहा है। ताजा विवाद इवांका से जुड़ा हुआ है, जिसे टॉयलेट स्कैंडल कहा जा रहा है। आरोप है कि इवांका ने अपनी सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस जवानों को टॉयलेट दिलवाने के लिए टैक्सदाताओं के करोड़ों रुपए खर्च कर दिए।
इवांका ने लगाई रोक
दरअसल मामला कुछ ऐसा है कि इवांका और उनके पति जेरेड कुश्नर की सुरक्षा के लिए खुफिया सर्विस के जवानों की तैनाती हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति के परिवार की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल के तहत तैनात ये जवान ड्यूटी शुरू होने के साथ ही मुसीबतों से घिर गए। हो ये रहा था कि इवांका ने उन्हें अपने घर का टॉयलेट इस्तेमाल करने से मना कर दिया, जबकि उनके घर पर पूरे 6 टॉयलेट बने हुए हैं।
किराए पर लिया घर
ऐसे में जवान ड्यूटी के दौरान लगभग तीन किलोमीटर की दूरी तय करके कथित तौर पर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के घर जाते और उनके टॉयलेट इस्तेमाल करते थे। लंबी दूरी तय करके लौटने में समय लगता था, लिहाजा इवांका ने एक दूसरा तरीका निकलवाया। महीनों बाद इवांका के घर के ही पास एक घर किराए पर लिया गया ताकि सीक्रेट एजेंट फारिग हो सकें। केवल टॉयलेट के इस्तेमाल के लिए भाड़े पर लिए गए इस घर का मासिक किराया लगभग 2 लाख 20 हजार रुपए था। इस तरह से चार सालों में केवल टॉयलेट के लिए 74 लाख रुपए से भी ज्यादा पैसे खर्च हो गए।
डेमोक्रेट्स ले रहे आड़े हाथ
14 जनवरी को वॉशिंगटन पोस्ट में ये खबर आने के बाद से विपक्षी पार्टी लगातार इवांका के गैरजरूरी खर्च की आलोचना कर रही है। डेमोक्रेट्स का कहना है कि घर में 6 टॉयलेट होने के बाद भी इवांका का उसके लिए अलग से पैसे खर्च करना सही नहीं था।
टॉयलेट को लेकर ट्रंप परिवार पहले भी निशाने पर रहा है। साल 2016 में जब ट्रंप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे और चुनाव प्रचार कर रहे थे, तब न्यूयॉर्क सिटी के उनके अपार्टमेंट में एक सोने का बना कमोड भी गलती से सामने आ गया था। इसपर ट्रंप को अय्याश भी कहा गया, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी कि क्या वाकई ट्रंप के घर पर सोने से बना कमोड है।
पानी की कमी की शिकायत
कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप का टॉयलेट ऑब्सेशन सामने आया था, जब उन्होंने बाथरूम में वॉटर फिक्शचर के कारण पानी कम आने की शिकायत की थी। यहां तक कि उनकी लगातार शिकायत के चलते डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी ने शावर वॉटर प्रेशर के नियमों में नरमी बरतने की बात कही थी। बता दें कि बहुत से पश्चिमी देशों में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए बाथरूम में वॉटर फिक्शचर लगाया जाता है। ये एक तरह का सिस्टम है, जिससे नल से या शावर से सीमित मात्रा में पानी गिरता है। आमतौर पर ये इतना होता है कि कोई भी आसानी से नहा ले और पानी गैरजरूरी ढंग से बहता न रहे।
अमेरिका में भी पानी को लेकर ये नियम साल 1992 में लाया गया। तब जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति थे। उनकी सरकार ने नहाने के दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए शावर फिक्शचर का नियम बनाया। इसके तहत प्रति मिनट लगभग 2.5 गैलन (9.5 लीटर) पानी की सीमा तय हुई।
बाइडन की पत्नी भी अभी से विवादों में
इधर टॉयलेट के मामले में अमेरिका में राजनीति अजीब बात नहीं। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन वाइट हाउस में नया टॉयलेट बनवाने को लेकर पहले ही विवादों में घिर चुके हैं। बाइडन की पत्नी जिल बाइडन ने करोड़ों रुपयों का प्लान बनाया है, जिसके तहत वे वहां के टॉयलेट का सौंदर्यीकरण करवाएंगी। एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ये बात फेडरल कागजों के लीक होने से पता चली। इसमें साफ लिखा है कि जि बाइडन अपने हिस्से के टॉयलेट को अपग्रेड करने के लिए लगभग 1.2 मिलियन डॉलर का बजट तैयार कर चुकी हैं।
बता दें कि ट्रंप के वाइट हाउस छोड़ने और बाइडन के आने से पहले पूरा भवन एक बार फिर से साफ किया जाएगा। डीप क्लीन का ये खर्च भी लगभग 1 करोड़ रुपए है। इसी बीच जिल बाइडन ने उसमें ये नए खर्च जोड़ दिए हैं। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने इसे फिजूलखर्ची बताते हुए बाइडेन की काफी आलोचना भी की थी।
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