यूपी में एक्शन में आए बुलडोजर पर ब्रेक लगेगा या नहीं, आज सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई

पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद भाजपा से निष्कासित नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ जुमे की नमाज (10 जून) के बाद देश के 12 राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस साम्प्रदायिक हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी सबसे अधिक एक्शन में हैं। हिंसा के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। इसके खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। सुनवाई जस्टिस एएस बोपन्ना और विक्रम नाथ की अवकाशकालीन बेंच करेगी। इधर, ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी में 10 जून को विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर 16 जून की सुबह 7 बजे तक कुल 357 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें प्रयागराज से 97, सहारनपुर से 85, हाथरस से 55, मुरादाबाद से 40, फिरोजाबाद से 20, और अंबेडकरनगर से 41 अरेस्ट हुए। पुलिस ने 13 FIR दर्ज की थीं।

जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मांग की है कि वो यूपी सरकार से बुलडोजर की कार्रवाई रुकवाए। याचिका में बुलडोजर के एक्शन को गलत बताया गया है। इसमें कहा गया कि यह कार्रवाई बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के हो रही है। याचिका में बुलडोज़र चलवाने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग उठाई गई है। जमीयत उलेमा ए हिंद की लीगल सेल के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी की तरफ से यह याचिका दाखिल की गई है। इसमें उन्होंने तर्क दिया कि पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में 3 जून को कानपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे थे। तब उनकी हिंदू समुदाय से झड़प हो गई थी। पथराव दोनों पक्षों की तरफ से हुआ था, लेकिन प्रशासन एक तरफा कार्रवाई कर रहा है। मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलवाया जा रहा है।

झारखंड पुलिस द्वारा रांची में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल लोगों की तस्वीरों वाले पोस्टर लगाने के एक दिन बाद राज्य के होम सेक्रेट्री राजीव अरुण एक्का ने एसएसपी से इस गैरकानूनी कृत्य पर स्पष्टीकरण मांगा है। मंगलवार को पोस्टर लगाने के कुछ घंटे बाद पुलिस ने ‘तकनीकी खामियों’ का हवाला देते हुए राज्य की राजधानी के विभिन्न हिस्सों से उन्हें हटा लिया था। पुलिस ने तर्क दिया कि तकनीक गलतियां दूर करके पोस्टर फिर से जारी किए जाएंगे। हालांकि एक्का के पत्र में कहा गया है, यह लीगल नहीं है और इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 9 मार्च, 2020 के आदेश के खिलाफ है। पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल करीब 30 लोगों के पोस्टर जारी कर उनके बारे में जानकारी मांगी थी। राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन में डीजीपी नीरज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने के एक दिन बाद यह कदम उठाया था। राज्यपाल ने पूछा था कि आंदोलन के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा उपाय या कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पुलिस ने बताया कि घटना के सिलसिले में अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

 

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